Monday, October 7, 2013

सांस लेता हूँ तो
लिख देती हो 
तुम,
मुस्कुराता हूँ तो  
लिख देती हो 
तुम,
लूं जम्हाई सामने 
ग़ल्ती से जो,
छींक भी आये तो 
लिख देती हो 
तुम.
मैं जगूं,बैठूँ ,
पियूँ ,खाऊँ कि सोऊँ,
चुप रहूँ ,
लिखूँ,पढूँ,
बोलूँ न बोलूँ 
घोलकर स्याही
खड़ी रहती हो 
तुम,
बात कोई हो न हो 
बेबात लिख देती हो 
तुम,
सांस लेता हूँ तो 
लिख देती हो 
तुम.......     

7 comments:

  1. आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........

    सांस लेता हूँ तो
    लिख देती हो
    तुम,
    मुस्कुराता हूँ तो
    लिख देती हो
    तुम,

    बुधवार 09/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रस्तुति-
    मंगल-कामनाएं आदरणीया-

    ReplyDelete
  3. मन की बात आई जुबान पर तब ही तो लिख जाती है बातें

    ReplyDelete
  4. :):) बहुत मुश्किल है जीना .... क्या करे कोई :)

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब ...
    बेबात लिख देती हो !! :)

    ReplyDelete