Wednesday, November 26, 2014

अंजू शर्मा की बहुत ही सुन्दर कविता है 'चालीस साला अौरतें '……उसी से प्रभावित होकर मैनें लिखी है 'अस्सी साला अौरतें '....... 

ये अस्सी साला अौरतें ....... 
तनी हुई गर्दन,
दमकता हुआ ललाट ,
उभरी हुई नसें……और 
संस्कारों के गरिमा की 
ऊर्जा लिये,
आसमान को छूने की 
ताकत रखती हैं .......
समंदर को सोखने की 
हिम्मत रखती हैं……
छुपाये रहती हैं 
कमर के घेरों में,
उँगलियों के पोरों में ,
आँखों के कोरों में,
कहाँ- कहाँ के किस्से 
कहाँ- कहाँ की कहानियाँ ……
हाथी,घोड़ा,ढ़ोल-मंजीरा  
तोता- मैना ,पापड़-बड़ियाँ……
यादों की चकबन्दी में 
बहलाकर 
बैठा लेती हैं ,
हर मौसम को अलग सुर में 
गुनगुनाकर 
सुना देती हैं .......
अंग्रेज़ों के षड्यंत्र की,
आज़ादी के मन्त्र की,
जमींदारी के अंत की,
गाँव में वसंत की ……
अनुभवों के रसास्वादन से 
जिज्ञासा जगाती,
सुनहली-रुपहली तारों से 
चंदोवा सजाती 
मखमल सी हो जाती हैं 
ये अस्सी साला अौरतें ……
रिश्तों की दुसूती पर 
फूल-पत्ती काढ़ती ……
दबा देती हैं 
अकेलेपन के एहसासों को,
जामदानी,जामावार,
जरदोज़ी की 
आलमारी में.......
सुख-दुःख 
आँखों के पानी से 
धो-पोछकर 
सुखा लेती हैं,
चश्मे के शीशे का 
पर्दा 
लगा लेती हैं .......
नये-पुराने रंगों को 
मिला-मिलाकर मुस्कुराती हैं,
ओढ़ती,बिछाती,
सिरहाने रख 
सो जाती हैं ……
हवा का हर रुख 
महसूस करती
एकदम कोमल…… 
या फिर 
चट्टान सी ……
इन्हें 
हल्के से मत लीजियेगा .......
कमज़ोर मत समझियेगा……
छड़ी हाथों की 
कभी भी 
घुमा सकती हैं …… 
उफ़!
ये अस्सी साला अौरतें
दुनिया भी 
झुका सकती हैं…… 
 
 
 
  
 

9 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (28.11.2014) को "लड़ रहे यारो" (चर्चा अंक-1811)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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  2. वाह...इन औरतों को सलाम..और सलाम आपकी लेखनी को भी

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  3. अस्से साला औरतों की दास्तान आपने बिल्कुल सही सुनाई है. हमारे घर में भी एक अस्सी साला बुज़ुर्ग रहती हैं. आज भी मेरी हिम्मत नहीं होती कि अपनी आवाज़ ऊँची कर सकूँ उनके सामने. एक बार जब इस उम्र में भी उन्होंने हुक़्म सुना दिया तो फिर बस तामील हो!
    आपने तो उनका पूरा व्यक्तित्व उजागर कर दिया. नत हूँ उन सभी औरतों के चरणों में!
    हाँ, अंजू जी की कविता का लिंक देना चाहिये था, ताकि हम उनकी कविता का भी आनंद उठा पाते!

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  4. मेरी मां कुछ ऐसी ही है! अस्से साला जो हो गई है।

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  5. लाज़वाब और सटीक शब्द चित्र...

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  6. सुन्दर प्रस्तुति...बहुत खूब...

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  7. कल 30/नवंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  8. गहरे शब्द.... दूर की बात .... मन के भाव सहज ही काग़ज़ पर उतार दिए

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  9. Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.Top 10 Website

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