गुलमोहर की प्रातों से,
रजनीगंधा की
रातों से,
बोझिल पलकों के
सपनों से,
तन्द्रिल अलकों के
कोनों से.
भोंरों के
अलि-चुम्बन से,
दीपशिखा के
कम्पन से,
अमलतास की
साया से,
नीम तले की
छाया से.
मलयज से आती
वातों से,
चाँद दिखे
उन रातों से,
उपहार तुम्हारे लिए
आज,
मृदु मन के
उठते भावों से .
आदरणीय मृदुला जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत खूबसूरत
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
मलयज से आती
ReplyDeleteवातों से,
चाँद दिखे
उन रातों से,
उपहार तुम्हारे लिए
आज,
मृदु मन के
उठते भावों से .
Pooree rachana komal bhavon se bharpoor hai!
वाह क्या बात है मृदुला जी ...बहुत खूबसूरत उपहार ..
ReplyDeleteप्रियतम का प्यार ही उपहार है,
ReplyDeleteऔर उपहार ही प्यार को दर्शाता है
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दहेज़ कु-प्रथा !
अनमोल, अद्भुत, अप्रतिम एवं अचिन्त्य उपहार है यह!!
ReplyDeleteअद्भुत अमूल्य उपहार..
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत उपहार, असाधारण भी , बधाई
ReplyDeleteउपहार तुम्हारे लिए
ReplyDeleteआज,
मृदु मन के
उठते भावों से .
bahut sunder komal bhav sparsh....
क्या बात है मृदुला जी...यही तो शाश्वत उपहार है....शानदार।
ReplyDeleteअप्रतिम मृदु उपहार,ज्यों प्रकृति का सजा सितार
ReplyDeleteअनायास छू लिया और गूँज उठी हो मधुर झंकार......
Mradula ji aapne to kamaal ki kavita likhi hai.uphaar ke saath poora hardya udel kar rakh diya.aabhar.
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और अमूल्य उपहार! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अमूल्य उपहार.......बहुत खूबसूरत ... शानदार प्रस्तुती
ReplyDeleteSimply awesome... Loved it !!
ReplyDeleteबहुत अनोखा उपहार और बहुत सुंदर ढंग से दिया गया... सुंदर कविता !
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 14-07- 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा -
उपहार तुम्हारे लिए
ReplyDeleteआज,
मृदु मन के
उठते भावों से .
बहुत खूब कहा है आपने इस अभिव्यक्ति में ।
nice poem
ReplyDeleteसुंदर। अति सुंदर।
ReplyDeleteप्रकृति के अनमोल उपहार समेट लायी हैं आप इस कविता के माध्यम से ...आभार
ReplyDeleteबहुत मधुर..सुन्दर...अमूल्य उपहार !!
ReplyDeleteबेहतरीन.
ReplyDeleteसादर
वाह वाह वाह...बेहद खूबसूरत...बहुत बहुत ही खूबसूरत.
ReplyDeletenisandeh , bahut hi sundar aur anmol tohfa.
ReplyDeletefollower ka option nahi mil raha ||
ReplyDeleteachchhi rachnaon ki badhaai ||
hindi font bhi disturb hai ||
कोमल और अप्रतिम अहसासों से परिपूर्ण बहुत सुन्दर रचना..आभार
ReplyDeleteमलयज से आती
ReplyDeleteवातों से,
चाँद दिखे
उन रातों से,
उपहार तुम्हारे लिए
आज,
मृदु मन के
उठते भावों से
बहुत सुंदर...
waah kya baat hai pura shabdkosh hi mano sama gaya aapki rachna me. kabhi shabdkosh ka koi shabd prayog karna ho to yah ek achha zariya hai.
ReplyDeletebahut komal bhaavo ki rachna. aabhar.
निशब्द कर दिया है आपने,
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुन्दर |बधाई
ReplyDeleteआशा
कोमल भावोँ से भरपूर अत्यन्त सुन्दर रचना. मृदुला जी आपकी कविता में सुन्दर भावोँ के साथ साथ जो अलंकारिक भाषा का प्रयोग है और लयबद्धता है वह मैथिली शरण जी की रचनाओं की याद दिलाती है.
ReplyDeletePrakriti kee manoram jhanki...
ReplyDeletesundar prastuti ke liye aabhar!
wwah..madhur ahsas se srobar rachna...
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti, badhai
ReplyDeleteसुंदर कविता मृदुला जी बधाई
ReplyDeletemridula di
ReplyDeletejawab nahi aapka ,itna pyaara sa uphaar isse bhi badh kar kuchh ho sakta hai kya>
har pntiyon ke har shabd dil me utar gaye.bahut hi ghudh shabdon ka saanyojan kiya hai aapne
bahut bahut badhai
poonam
एक अच्छी प्यारी रचना !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
मलयज से आती
ReplyDeleteवातों से,
चाँद दिखे
उन रातों से,
उपहार तुम्हारे लिए
आज,
मृदु मन के
उठते भावों से .
gahre jazbaat ,komal ahsaas liye khoobsurat rachna.
bahut achchi lagi.....
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