something for mind something for soul.
घरों से लड़कियों कि आवाज़ बाहर न जाये ये सुना था...पापड़ खाने का ये तरीका गज़ब है...
पता नहीं संकोच था या "शोषण".....यह डर कि कोई टोक न दे......
aisi kahaniya sunne ko mil hi jaati hai jo naari ki bebas sthiti ko darsati hai.................
बहुत खूब !खूबसूरत रचना,। सुन्दर एहसास .शुभकामनाएं.
घरों से लड़कियों कि आवाज़ बाहर न जाये ये सुना था...पापड़ खाने का ये तरीका गज़ब है...
ReplyDeleteपता नहीं संकोच था या "शोषण".....यह डर कि कोई टोक न दे......
ReplyDeleteaisi kahaniya sunne ko mil hi jaati hai jo naari ki bebas sthiti ko darsati hai.................
ReplyDeleteबहुत खूब !खूबसूरत रचना,। सुन्दर एहसास .
ReplyDeleteशुभकामनाएं.