सोलवां साल.......यानि
एक जादू ,एक आकर्षण,
एक निमंत्रण.....
कुछ अलग सा मिजाज़........
तो मेरी बच्ची,
अब करनी होगी तुम्हें
अपने ही
कदमों की पहरेदारी
समझदारी से.....कि
दुनियादारी में
प्रलोभन कम नहीं.
सशक्त मन से,
उज्जवल भविष्य का
आह्वान करना,
शालीनता से,विनम्रता से,
प्रभु का
ध्यान करना,
कहना.......
तुम्हें विद्या,बुद्धि,विवेक से
आभूषित के दें,
कहना........
तुम्हें धैर्य से,प्रेम से,विश्वास से
आलोकित कर दें.........
Umra ke is ajeeb mod par maata-pita ki sachchi seekh.. Ek uchit maargdarahan!!
ReplyDeleteसीख देती सुन्दर रचना |
ReplyDeleteaapki ye rachna har betiyon ko padhni chahiye..............aakhir ham blog ke madhyam se jagrukta la hi sakte hai...............
ReplyDeleteकितना सुन्दर सोचा है .....!!!
ReplyDeleteBEHATARIN SIKH KO SIKHATI
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता...
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