पिता के बाद ……
बची हुई माँ
अचानक
कितनी निस्तेज
लगने लगती है……
एक नये प्रतिबिम्ब में
तब्दील हुई,
खुद को ही नहीं
पहचानती है ……
बेरंग आँखों की उदासी से
उद्धेलित मन को
बाँधती है,
सुबह-शाम की उँगलियाँ थामे
अपने-आप ही
संभलती है,
तूफान के प्रकोप को समेटती हुई
रुक-रुक कर
चलती है ………
मन के
सूनेपन को
जाने किस ताकत से
हटाती है ,
यादों के प्रसून-वन में
हँसती- मुस्कुराती है ,
भावनाओं के साथ
युद्ध करते हुये
आँसुओं को
पी जाती है……और
कभी कमज़ोर दिखनेवाली
माँ……
अचानक
कितनी मजबूत
लगने लगती है ………
देख रहा हूँ इन पंक्तियों के बीच अपनी माँ को... कितनी कमज़ोर, लेकिन कितनी दृढ़!!
ReplyDeletevery nice post....
ReplyDeleteआपकी कविता दिल में उतर गई . वास्तव में यही हाल मेरी माँ का है . अपने माता-पिता के बीच जो कुछ देखा जाना ,यही लगता था कि पिताजी के जाने के बाद वे शायद वे मुक्त और सहज रहेंगी लेकिन बात उलटी ही निकली है . आप फॉण्ट को बड़ा करके लिखें ..
ReplyDeleteआज के समय में बहुत सारी बीमारियां फैल रही हैं। हम कितना भी साफ-सफाई क्यों न अपना लें फिर भी किसी न किसी प्रकार से बीमार हो ही जाते हैं। ऐसी बीमारियों को ठीक करने के लिए हमें उचित स्वास्थ्य ज्ञान होना जरूरी है। इसके लिए मैं आज आपको ऐसी Website के बारे में बताने जा रहा हूं जहां पर आप सभी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।
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