तुम मेरी चिंता
मत करना ........
तुम्हारे साथ बिताये हुए
समय का
मैनें
'फिक्स -डिपोजिट'
करबा दिया है ,
इतने दिनों का
समेटा हुआ
प्यार,
इकठ्ठा करके
बैंक में
रखबा दिया है
और
इनसे आनेवाला
'इंटरेस्ट'
मेरे
जीवन-यापन के लिए
काफी है ,
तुम मेरी चिंता
मत करना ........
तुम्हारे बनाए हुए
सुख के
हिंडोले में ,
झूलती रहती हूँ ,
कभी हक़ीकत,
कभी
ख्वाबों के जाल
बूनती रहती हूँ ,
मीठी यादों का
मरहम,
दर्द के एहसास पर
लगा लेती हूँ,
तुम मेरी चिंता
मत करना,
मैं तो तुम्हारे
पास ही
रहती हूँ .
ख्वाबों के जाल
ReplyDeleteबूनती रहती हूँ ,
मीठी यादों का
मरहम,
दर्द के एहसास पर
लगा लेती हूँ,
अत्यंत भावपूर्ण उत्कृष्ट लेखन
ताजगी लिए हुए सुन्दर रचना
-
आभार
बहुत खूबसूरत रचना...बधाई
ReplyDeletekhoobsurat abhivyakti.....
ReplyDeletebadhai.....
वाह मैम बहुत अच्छा लगा
ReplyDeletejust read your kavita now, it is par excellence . . .
ReplyDeleteवाह!सुन्दर रचना।
ReplyDelete"सच में"(www.sachmein.blogspot.com) पर आने और पसंद करने के लिये धन्यवाद!
bahut achhi rachna..
ReplyDeletebadhai..
aur mere blog mein tippani dene ke liye dhanyawaad,,
shekhar
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteit is a beautiful poem.
ReplyDeleteKya gazab ka likhti hain aap!Khamosh kar diya!
ReplyDeleteमेरी माँ भी कवयित्री हैं, और मेरे पिता के बाद से ऐसी ही रचनाएँ हो गयी हैं उनकी। फ़र्क ये है कि वो गीत रचती हैं, और कभी-कभी गाती भी हैं। अक्सर रुला देती हैं, उन्हें भी जो हमारे परिवार से नहीं, अजनबी भी होते हैं।
ReplyDeleteइसलिए मैं आपकी रचनाओं को समझ तो सकता हूँ, कोई टिप्पणी नहीं कर सकता, बहुत हिम्मत करके नम आँखों से इतना लिख गया…
सादर,
!Khamosh kar diya!
ReplyDeleteतुम्हारे बनाए हुए
ReplyDeleteसुख के
हिंडोले में ,
झूलती रहती हूँ ,
कभी हक़ीकत,
कभी
ख्वाबों के जाल
बूनती रहती हूँ ,
..मन के भावों को शब्दों में पिरोने का सफल प्रयास..उत्तम रचना
ख्वाबों के जाल
ReplyDeleteबूनती रहती हूँ ,
मीठी यादों का
मरहम,
दर्द के एहसास पर
लगा लेती हूँ,
भावपूर्ण उत्कृष्ट रचना...
शुक्रिया ,आप भी बहुत सुंदर लिखती हैं ;हर कविता ---------पिता के बाद ,ह्रदय,चिंता,जलन ......
ReplyDeleteसुंदर तो हैं हीं.आपकी सकारात्मक सोच ने उनकी खूबसूरती का बड़ा दिया है वज़्न
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 28 - 07- 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- खामोशी भी कह देती है सारी बातें -
क्या बात बहुत सुन्दर कविता। अच्छा लगा पढ़ कर।
ReplyDeleteसच में मीठी यादें साथ हो तो समय-समय पर मन खुश करने बहुत काम आतीं हैं ....
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
ख्वाबों के जाल
ReplyDeleteबूनती रहती हूँ ,
मीठी यादों का
मरहम,
दर्द के एहसास पर
लगा लेती हूँ,
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर कल्पना , अरे ऐसा कब से होने लगा? तब तो सब कुछ जमा कर देते हैं. बस उस बैंक का पता बता दीजिये.
ReplyDeleteबेंक में रखे प्यार का इंटरेस्ट जीवन यापन के लिए काफी है....
ReplyDeleteनए दृष्टिकोण लिए बड़ी प्यारी रचना है...
सादर...
waah kya baat hai. hai to sabhi ke paas aisa account lekin sabhi ise maintain kahan kar pate hain. :)
ReplyDeleteभावों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है ..फिक्स डिपोजिट करवाना अच्छा लगा ..
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