अपने ' nephew' के नाम.....जो विभिन्न उपलब्धियों को हासिल करते हुए , वाशिंगटन में 'World-bank' के एक
प्रतिष्ठित पद पर आसीन हैं . हाल ही में उनका एक भाषण सुनने को मिला.......
Sanjay Pradhan: How open data is changing international aid
Sanjay Pradhan is vice president of the World Bank Institute, helping leaders in developing countries learn skills for reform, development and good governance.
यह उसी की प्रतिक्रिया है......काश! कुछ और लोग भी इस 'छोटी सी' पर 'बड़ी बात' से प्रेरणा ले पाते......
छः वर्ष के बच्चे के
एक पिता
मिठाई,
आधी खाई हुई
छीनकर,
दूर फेंक देता है,
रिश्वत के रस्ते आयी,
ज़हरीली है,
ऐसा कुछ
कह देता है.......
तब
बाल-सुलभ ,कोमल-मन
हतप्रभ,
बेहिसाब
रोता है........पर
उसी सुदृढ़ सच्चाई की
अनुपम मिसाल का
बल लेकर,
जीवन-क्रम में,
तुम जैसा बन
नभ को छूता है.
उसी सुदृढ़ सच्चाई की
ReplyDeleteअनुपम मिसाल का
बल लेकर,
जीवन-क्रम में,
तुम जैसा बन
नभ को छूता है.
इसी प्रेरणा की जरुरत है !!
पोस्ट
Gift- Every Second of My life.
कमाल है ...बधाई !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !
बहुत खूब ... सच है बचपन में जो बात गिरह बंध जाती है सदा साथ रहती है ...
ReplyDeleteअनुपम मिसाल की लाजबाब दिल को छूती प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
वाह ... बहुत अच्छी सोच
ReplyDeleteअद्भुत....
ReplyDeleteसुन्दर सीख भरी प्रेरणापद कविता .
ReplyDeleteआखिर बच्चा अपने माता-पिता से ही तो सीखता है .
सादर !
बहुत सुन्दर कहा है. ऐसे की वाकये उत्कर्ष की ओर ले जाते हैं.
ReplyDeleteइस तरफ आईयेगा...तो मिलवाईयेगा...मेरा अहोभाग्य होगा!!
ReplyDeleteअच्छी बात है ...सुन्दर रचना....परन्तु वह मिठाई बच्चे के हाथ तक आयी ही कैसे ....????
ReplyDeleteप्रेरणादायी रचना..बधाई आपको व आपके भांजे को...मिठाई जरूर पिता की अनुपस्थिति में आ गयी होगी..
ReplyDeleteसच है । संजय को अनेक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसत्य है ऐसी अनुपम मिसालें सबक देती हैं और भविष्य में जीवन की राह आसान करती है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर,दिल को छूनेवाली रचना !!
ReplyDeleteतब
ReplyDeleteबाल-सुलभ ,कोमल-मन
हतप्रभ,
बेहिसाब
रोता है........पर
उसी सुदृढ़ सच्चाई की
अनुपम मिसाल का
बल लेकर,
जीवन-क्रम में,
तुम जैसा बन
नभ को छूता है.
प्रेरणादायी रचना..बधाई
so apt!
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteवाह ....मज़ा आ गया ...वाकई ...!काश ऐसा चरित्र देश को चलानेवालोंका होता ....खैर !!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व प्रेरणादायी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर .... बचपन से ही संस्कार पड़ते हैं ....
ReplyDeleteवे बचपन के संस्कार ही होते हैं जो भविष्य की ऊंचाई निर्धारित करती हैं.. जब हम बिगड़े हुए समाज को देखते हैं तो सबसे पहले यही बात दिमाग में आती है कि माँ बाप ने अच्छे संस्कार नहीं दिए या शिक्षक सच्ची शिक्षा देने में सफल न हो सका!!
ReplyDeleteसंजय जी के लिए शुभकानाएं!!
बेहद सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपको गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.
बहुत बढ़िया प्रेरणाप्रद रचना ..
ReplyDeleteप्रेरक!
ReplyDeletevery inspiring.
ReplyDeletesunder rachana.
ReplyDeleteबहुत प्रेरक सन्देश...
ReplyDeleteमेहनत, ईमानदारी और कर्तव्यपरायण होने का पाठ जीवन में सबसे पहले बच्चा अपने घर से सीखता है. और ऐसी परवरिश का परिणाम आपके भतीजे का उच्च स्थान हासिल करना. प्रेरक रचना. आप सभी को बधाई.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBahut hi sundar, Chhoti Maa. I am so very grateful for this most beautiful poem on my TED talk. I will deeply cherish this. With much gratitude, Sanjay Pradhan
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