Wednesday, March 20, 2013

नीम के पत्ते यहाँ ........

नीम के पत्ते यहाँ
दिन-रात 
गिरकर,
चैत के आने का हैं 
आह्वान करते,
रात छोटी,दोपहर 
लम्बी ज़रा 
होने लगी है।
पेड़ से इतने गिरे 
पत्ते 
कि  दुबला हो गया है 
नीम 
जो पहले घना था,
टहनियों के बीच से 
दिखने लगा आकाश,    
दुबला हो गया है नीम 
जो पहले घना था।
क्यारियों से फूल पीले 
अब विदा 
होने लगे हैं 
और गुलमोहर पे पत्ते 
अब सुनो,
लगने लगे हैं,
शीत जो लगभग गया था,
मुड़ के वापस 
आ गया है,
विदा का फिर 
स्नेहमय 
स्पर्श देने 
आ गया है।
इन दिनों चिड़ियों का आना 
बढ़ गया है,
घोंसले बनने लगे हैं,
घास, तिनके चोंच में 
दिखने लगे हैं।
पेड़ की हर डाल पर 
लगता कोई मेला 
कि किलकारी यहाँ 
पड़ती सुनायी,
घास पर लगता कि 
पत्तों की कोई 
चादर बिछायी।
हवा में फैली 
मधुर,मीठी,वसंती 
महक 
अब, जाने लगी है,
चैत की चंचल हवा में
चपलता
चलने लगी है।
सूर्य की किरणें
सुबह
जल्दी ज़रा आने लगी हैं,
धूप  की नरमी पे
गर्मी का दखल
बढ़ने लगा है।
शाम होती देर से
कि दोपहर
लम्बी ज़रा होने लगी है ,
रात में कुछ देर तक
अब
चाँद भी रहने लगा है।

24 comments:

  1. बदलते मौसम में प्रकृति ने भी नए अंदाज़ बिखरे हैं...
    बहुत सुन्दर चित्रण मृदुला जी...एक दम किसी पेंटिंग की तरह..

    सादर
    अनु

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  2. बदलते हुए मौसम का आँखों देखा हाल सा लगता...बहुत सुंदर चित्रण..

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  3. वाह मृदुलाजी ..कितनी सुन्दरता इस बदलाव को लेखनी में बांधा है .....अद्भुत !!!

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  4. वाह ... चैत के आगमन ओर प्राकृति के बदलाव को बाखूबी लिखा है ...

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  5. अब चाँद ढेर सारी बतिया भी करने लगा है ..सुन्दर कहा है..

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  6. आज की ब्लॉग बुलेटिन चटगांव विद्रोह के नायक - "मास्टर दा" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  8. बदलते मौसम का तेवर ...क्या खूब रचा है ...वाह

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  9. बहुत मनभावन. फागुनी बयार का मिजाज अब चैती होने लगा है. वाह... बधाई.

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  10. बहुत सुंदर,मौसम के बदलते रंग
    खूबसूरती से शब्दों में उतर आये हैं...
    साभार......

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  11. शाम होती देर से
    कि दोपहर
    लम्बी ज़रा होने लगी है ,
    रात में कुछ देर तक
    अब
    चाँद भी रहने लगा है।-----waah bahut sunder sahabd chitr badhai
    aagrah hai mere blog main sammlit hon

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  12. बदलते मौसम की दस्तक....सुन्दर रचना।

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  13. मौसम कुछ बदलने लगा है ...सुंदर प्रस्तुति

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  14. मौसम बदल रहा है नीम पर लाल लाल नन्ही नन्ही नई पत्तियां आ रही हैं गोरैय्या दिखने लगी हैं घोंसले बना रही है नन्हें बच्चों को खाना खिला रही है । इस मौसम पर दस्तक देने के लिये आभार ।

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  15. बिल्‍कुल सही और सटीक अभिव्यक्ति.

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  16. सूर्य की किरणें
    सुबह
    जल्दी ज़रा आने लगी हैं,
    धूप की नरमी पे
    गर्मी का दखल
    बढ़ने लगा है।
    शाम होती देर से
    कि दोपहर
    लम्बी ज़रा होने लगी है ,
    रात में कुछ देर तक
    अब
    चाँद भी रहने लगा है।

    बहुत ही सुन्दर और सटीक चित्रण मृदुला जी...

    manju mishra
    www.manukavya.wordpress.com

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  17. आज 15/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं. आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  18. प्रकृति का बहुत सुन्दर मनोरम चित्रण ..

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  19. वाह..निहायत ही शानदार लेखन है आपका.....ये मेरा सौभाग्य है जो आपकी रचनाओं को पढ़ने का अवसर मुझे मिल रहा है।

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