दिनकर जी के बारे में
जितना लिख दूं
वह कम है,
'रश्मिरथी','कुरुछेत्र'
पढ़ी थी,
अब तक आँखें
नम हैं.
जन-जीवन,ग्रामीण ,
सहज,
कितना गहरा
स्वाध्याय,
दिए अमूल्य ,अतुल
वैभव
'संस्कृति के चार अध्याय '.
'हारे को हरिनाम ',
'उर्वशी '
पढ़कर नहीं अघाते,
श्रोता हों या वक्ता हों,
हर पंक्ति को
दोहराते.
संसद में रहकर भी
सत्ता,
जिनको नहीं लुभाया,
दिनकर जी को मिला,
पढ़ा जो,
अब तक नहीं
भुलाया.
कृतियों का प्रज्ज्वल प्रकाश,
उत्कर्ष,
कलम का थामे ,
भारत की
गौरव-गाथा में,
राष्ट्र-कवि हैं आगे.
ऋणी रहेगा 'ज्ञानपीठ',
हिंदी का नभ
सम्मानित,
नमन उन्हें शत बार
ह्रदय यह,
बार-बार गौरवान्वित .
जितना लिख दूं
वह कम है,
'रश्मिरथी','कुरुछेत्र'
पढ़ी थी,
अब तक आँखें
नम हैं.
जन-जीवन,ग्रामीण ,
सहज,
कितना गहरा
स्वाध्याय,
दिए अमूल्य ,अतुल
वैभव
'संस्कृति के चार अध्याय '.
'हारे को हरिनाम ',
'उर्वशी '
पढ़कर नहीं अघाते,
श्रोता हों या वक्ता हों,
हर पंक्ति को
दोहराते.
संसद में रहकर भी
सत्ता,
जिनको नहीं लुभाया,
दिनकर जी को मिला,
पढ़ा जो,
अब तक नहीं
भुलाया.
कृतियों का प्रज्ज्वल प्रकाश,
उत्कर्ष,
कलम का थामे ,
भारत की
गौरव-गाथा में,
राष्ट्र-कवि हैं आगे.
ऋणी रहेगा 'ज्ञानपीठ',
हिंदी का नभ
सम्मानित,
नमन उन्हें शत बार
ह्रदय यह,
बार-बार गौरवान्वित .
हिंदी का नभ
ReplyDeleteसम्मानित,
नमन उन्हें शत बार,
बहुत सुंदर,,,,,
नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
sacchi bat dinkar jee ke yogdan ko bhala kaun bhul sakta hai ..
ReplyDeleteदिनकर जी के बारे में सुंदर प्रस्तुति वास्त व में हिंदी का नभ उनसे भी प्रकाशित है।
ReplyDeleteदिनकर जी को समर्पित सराहनीय भावयुक्त शब्द !
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ReplyDeleteदिनकर जी को समर्पित सुन्दर शब्दांजलि
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दिनकर जी के बारे में सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
दिनकर जी मेरे प्रिय कवि हैं । उनकी भाषा जितनी सहज और प्रसादगुणयुक्त है उतने ही गहन भाव है यह बहुत ही कम कवियों में देखने मिलता है । मृदुला जी धन्यवाद ।
ReplyDeleteदिनकर जी की रचनाओं को शब्दों मेँ बखूबी बांधा है ।
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