Wednesday, January 1, 2014

चूड़ियों की खनक है........

सूक्ष्म कन्धों पर 
दायित्व का 
जहाज़  लिए…… 
अडिग पैरों के
संतुलन
और
असीमित भुजाओं के
अनुशासन से,
श्रम का
योगदान कर....... 
परिवार को सींचती,
स्वाभिमान के
गौरव को
सहेजती-संभालती,
यह आज की नारी है.......
इसमें
एक अलग ही
चमक है....... 
विकास के
हर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है........ 

8 comments:

  1. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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  2. ये तो होना ही था..

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  3. Very true picture of a WOMAN.. A balance beteeen the music of bangles & service to the nation!! And to the craft of your poem - Hats off!!

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  4. खुबसूरत अभिवयक्ति

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति...!
    नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाए...!
    RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.

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  6. आज की नारी हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है..पर अभी भी बहुत सी नारियां अशिक्षा के कारण अन्याय का शिकार हो रही हैं

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