सूक्ष्म कन्धों पर
दायित्व का
जहाज़ लिए……
अडिग पैरों के
संतुलन
और
असीमित भुजाओं के
अनुशासन से,
श्रम का
योगदान कर.......
परिवार को सींचती,
स्वाभिमान के
गौरव को
सहेजती-संभालती,
यह आज की नारी है.......
इसमें
एक अलग ही
चमक है.......
विकास के
हर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है........
खुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteये तो होना ही था..
ReplyDeleteVery true picture of a WOMAN.. A balance beteeen the music of bangles & service to the nation!! And to the craft of your poem - Hats off!!
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
बहुत खूबसूरत |
ReplyDeleteआज की नारी हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है..पर अभी भी बहुत सी नारियां अशिक्षा के कारण अन्याय का शिकार हो रही हैं
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