something for mind something for soul.
ख़्यालों के दरीचों से
गुलो-गुंचों की
मुखबिरी
तसव्वुर के मुहाने से
वो उठते
चाँद का मंजर ..
मेरी रातों की
कश्ती में
जो आकर के
जगाता है
चमक जाता है
सिरहाने में
रौशन सा वही
चेहरा ..
Such a lovely poem.मेरी नई रचना
ख्वाहिशों को अच्छी तरह सहेजा आपने अपनी कविता में.......बहुत सुन्दर
बहुत ही कोमल एहसासों को समेटे और उतने ही कोमल शब्दों में अभिव्यक्त हर प्रेमी के हृदय के स्वर!!
Such a lovely poem.
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ख्वाहिशों को अच्छी तरह सहेजा आपने अपनी कविता में.......बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही कोमल एहसासों को समेटे और उतने ही कोमल शब्दों में अभिव्यक्त हर प्रेमी के हृदय के स्वर!!
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