something for mind something for soul.
शाख-ए-गुल से
ये मैंने
कहा एक दिन..
अपनी खुशबू तो दे दो
मुझे भी जरा
कि..लुटाऊँगी मैं भी
यहाँ से वहाँ ..
कुछ झिझकते हुये
उसने हामी भरी
फिर कहा-
मित्र , लेकिन..
सिखा दो मुझे पहले
अपनी तरह
तुम ये चलना
मुझे भी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 जून 2022 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सच .... पेड़ पौधे एक ही जगह रह कर खुशबू के माध्यम से दूर दूर तक पहुँच जाते हैं , उनका भी मन करता होगा न चलने फिरने का । मन को छूती रचना ।।
वाह
Excellent post. Keep posting such kind of info on your blog.
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सच .... पेड़ पौधे एक ही जगह रह कर खुशबू के माध्यम से दूर दूर तक पहुँच जाते हैं , उनका भी मन करता होगा न चलने फिरने का । मन को छूती रचना ।।
ReplyDeleteवाह
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