रच लें हथेलियों पर
केसर की पखुड़ियाँ.....
बाँध लें साँसों में
जवाकुसुम की
मिठास.....
सजा लें सपनों में
गुलमोहर के
चटकीले रंग……
बिखेर लें
कल्पनाओं में
जूही की कलियाँ......
कि ऋतु वसंत है .......
केसर की पखुड़ियाँ.....
बाँध लें साँसों में
जवाकुसुम की
मिठास.....
सजा लें सपनों में
गुलमोहर के
चटकीले रंग……
बिखेर लें
कल्पनाओं में
जूही की कलियाँ......
कि ऋतु वसंत है .......
ख़ूबसूरत!!!
ReplyDeleteरंग बिरंगे फूलों का मौसम ऋतु वसंत मनभावन…
ReplyDeleteसुन्दर !!
आनंद दायक।
ReplyDeleteबात फूलों की रात फूलों की
ReplyDeleteअब चली है बारात फूलों की
भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआशा
कुसुमित अभिव्यक्ति ...!!बहुत सुंदर ...!!
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteलाजबाब,बेहतरीन अभिव्यक्ति .!
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
भावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteबहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूं। प्रस्तुति काफी अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट "सपनों की भी उम्र होती है",पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDeletebahut khoobsurat ...
ReplyDeleteबढ़िया स्वागत वसंत का ....
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