जूही-बेला की
पंखुड़ियों में
लिपटी हुई शाम.……
रजनीगंधा के किनारे,
चंपा,चमेली,रात-रानी का
सानिध्य......
बारों-छज्जों पर
वसंत-मालती का
अल्हड़पन......
इठलाता मुंडेर पर
लाल-पीला
वोगन-विलिया.....
तुम ही कहो,
मुझे कश्मीर की
वादियों से
क्या लेना.......
:-) बहारों का मौसम मेरे आँगन में है.....
ReplyDeleteअनु
मन चंगा तो कठौती में गंगा...
ReplyDeleteजब कश्मीर आंगन में हो तो क्यूं जायें वहां।
ReplyDeletekshmir aur kanyakumari ham apane man se jud kar khushnuma mahasoos karte hain . man khush to prakriti ke sath kahin bhi ham khush. bahut sundar likha .
ReplyDeleteसच कहा....इन फूलाें के बीच किसे कश्मीर की याद आएगी...
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