something for mind something for soul.
Behad sundar! Maaf karen ki mai kharab tabiyatke karan niyamse comment nahi kar pati hun.
कागज़ की ख़ामोशी पे उभरे शब्दों से अनेकों प्रश्न वाह वाह क्या उम्दा सोच आपकी दीदी जी बेहद लाज़वाब, ये आपकी अभिव्यक्ति एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''भूल कर भी, अब तुम यकीं, नहीं करना''
बहुत सुन्दर...मृदुला जी
उम्दा है मृदुला जी |
बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
सुन्दर शब्दों में बाँधा !
कुछ तो बात है ....:))
परखना मत परखने से कोई रिश्ता नहीं रहता...बहुत खूबसूरत तरीका लगा आपका...
Behad sundar! Maaf karen ki mai kharab tabiyatke karan niyamse comment nahi kar pati hun.
ReplyDeleteकागज़ की ख़ामोशी पे उभरे शब्दों से अनेकों प्रश्न वाह वाह क्या उम्दा सोच आपकी दीदी जी बेहद लाज़वाब, ये आपकी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteएक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''भूल कर भी, अब तुम यकीं, नहीं करना''
बहुत सुन्दर...मृदुला जी
ReplyDeleteउम्दा है मृदुला जी |
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों में बाँधा !
ReplyDeleteकुछ तो बात है ....:))
ReplyDeleteपरखना मत परखने से कोई रिश्ता नहीं रहता...बहुत खूबसूरत तरीका लगा आपका...
ReplyDelete