Monday, August 17, 2015

सुबहों का समय .......



सुबहों का समय 
अखबार के पन्नों का
खुल जाना....... 
वो खुशबू भाप की 
उठती हुई 
चाय के प्यालों से……
पराठों की वो प्लेटें 
सब्जियाँ सूखी - करीवाली ,
करारे से पकौड़े 
और भागम- भाग 
वो भगदड़ ……
घड़ी की दौड़ती सूइयों से 
उठते शोर की 
हलचल 
वो जल्दी से भरा जाना 
' टिफिन '
' मिल्टन ' के डब्बों में .......
तुम्हारी याद का आना 
वो मेरा दिल 
बहल जाना .......