Friday, March 4, 2016

टेलीफोन विभाग ......

आज जब लोग इंटरनेट और मोबाईल से इतने बंधे हुये हैं कि इनकी रफ़्तार जरा सी भी धीमी हो जाये तो परेशान हो जाते हैं...... तब मुझे कलकत्ते का 1986 वाला समय बरबस ही याद आने लगता   है ......जब हम पूरी तरह से टेलीफोन पर ही निर्भर थे .....वो भी प्राइवेट कंपनीज की  नहीं , सिर्फ भारत सरकार के  टेलीफोन विभाग पर ......तो आज उसी समय की लिखी हुई और वहीँ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंच पर सुनायी हुई  एक कविता आपको सुना रही हूँ...... ( खास बात ये कि  उस समय मेरे पति  चीफ जेनरल मैनेजर , ईस्टर्न टेलीकॉम  रिज़न थे )

टेलीफोन विभाग के 
वरिष्ठ अधिकारी के घर 
छह महीने 
दौड़ने के बाद 
एक साहब के घर 
फोन लग गया..... 
साहब हुये खुश 
उठाया चोंगा लगाया नंबर 
पर ये क्या ?
न डायल टोन , न आवाज़ 
ख़ामोशी का 
साम्राज्य.... 
साहब आ गये 
सकते में 
कैसा ये चक्कर 
पहुँच गये सर के बल 
अधिकारी के दफ्तर ...... 
कॉल-बेल दबाया तो 
पी. ए. बाहर आया 
नाम काम पूछकर 
अंदर पहुँचाया ..... 
अधिकारी ने कहा , बुलाओ 
पी. ए. ने कहा , आओ 
इस प्रकार साहब ने 
अंदर प्रवेश पाया.... 
अधिकारी ने पहचाना , कहा 
कैसे हुआ आना ?
साहब कुछ घबराये 
थोड़ा सकपकाये 
कई बार सर को 
इधर-उधर घुमाये 
फिर बड़ी विनम्रता से 
बोले शालीनता से -
सर , फोन तो लग गया 
पर..... 
डॉयल टोन नहीं आया .....
अधिकारी कुछ गम्भीर हुये 
बिना अधीर हुये 
मेज़ की दराज़ को खिसकाया 
लाइटर निकालकर 
सिगरेट को जलाया..... 
दो-चार लम्बे कश लेकर 
पेशानी पर कुछ 
बल देकर 
थोड़ा गरमाये......फिर 
धीरे से फ़रमाये -
' टेलीफोन और डॉयल टोन में 
आपसी सम्बन्ध है '
आपलोगों को ये 
ग़लतफ़हमी है........और फिर 
हमारे पास 
इन दोनों की कमी है 
इसीलिये सरकार ने 
नया तरीका अपनाया है 
किसीको टेलीफोन 
किसीको डॉयल टोन 
यही हुक्मनामा 
आया है ......  














8 comments:

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद .....

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  2. मज़ेदार है... कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी तर्ज़ पर आजकल 1जीबीपीएस की स्पीड के नाम पर कह दिया कि पूरा मोहल्ला आपस में बाँट लो!
    मज़ा आ गया!!

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  3. मज़ेदार है... कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी तर्ज़ पर आजकल 1जीबीपीएस की स्पीड के नाम पर कह दिया कि पूरा मोहल्ला आपस में बाँट लो!
    मज़ा आ गया!!

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  4. मजेदार रचना

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 10 फ़रवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

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  6. हा हा हा ... एक बार मैंने भी फोन पर कभी कुछ लिखा था . जहाँ हम लोग थे उस समय आई एस डी की सुविधा नहीं थी . जिस दिन वो शुरू हुई उस दिन १२ घंटे फ्री थी और उन १२ घंटों में क्या हो सकता था उसकी कल्पना कर लिखा था ... अभी तो याद नहीं कहीं लिखी रखी होगी तो पोस्ट करुँगी :)

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