तुम हँसो
कि चाँद मुस्कुराये
तुम हँसो
कि आसमान गाये.
खुशबुयें फूल से उड़के
गलियों में आये,
पत्तों पे
शबनम की बूँदें
नहाये,
कलियों के दामन में
जुगनू चमक लें,
नज्मों की चौखट पे
लम्हे
ठहर लें,
खिड़की से आ
चाँदनी जगमगाये,
तुम हँसो
कि चाँद मुस्कुराये,
तुम हँसो
कि आसमान गाये,
हवाओं की कश्ती में
तारें समायें,
दिवारों पे लतरें
चढ़ी
गुनगुनाये,
रातों की पलकों में
सपने
दमक लें,
लहरें किनारों को
छूकर
चहक लें,
लताओं की पायल
मधुर खनखनाये,
तुम हँसो
कि चाँद मुस्कुराये,
तुम हँसो
कि आसमान गाये .
Sunday, September 6, 2009
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बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
ReplyDeleteतुम हँसो
ReplyDeleteकि चाँद मुस्कुराये,
तुम हँसो
कि आसमान गाये .
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
बहुत प्यारी रचना ..कोमल भाव लिए हुए
ReplyDeleteजीवन है सुंदर तु्म्हारी हंसी से।
ReplyDelete..बहुत अच्छी कविता।
सुंदर!
ReplyDeleteसुन्दर, कोमल प्यारी रचना....
ReplyDeleteसादर बधाई...
very very beautiful...
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