Sunday, March 28, 2010

द्रवित ह्रदय .........

द्रवित ह्रदय के
भाव-भीने
स्वरों से ,
आभार मानती हूँ
उन अपनों का ,
जो
बुरे समय में
किनारा
कर लेते हैं .
टूटे हुए मन के
टूटे-फूटे
शब्दों से,
उपकार मानती हूँ
उन परायों का,
जो
बुरे समय में
साथ
हो लेते हैं,
फिर नमन करती हूँ
दोनों को
कि
बाल्यावस्था से ,
अपने -पराये की
जिस परिभाषा को
लेकर
चलती रही........
अभी -अभी तक
जिस विश्वास पर
विश्वास
करती रही......
एक भ्रम था
बता दिया ,
नए समय का
नया पाठ
पढ़ा दिया और
मेरी मान्यताओं को,
संशोधन की
ज़रुरत है ,
सप्रसंग समझा दिया .

14 comments:

  1. zindagi yun hi naye path sikhati hai,
    bahut badhiyaa

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  2. hamara seekhana jindagee se ant tak chalata rahega.......
    sunder rachana.......

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  3. बहुत सुन्दर,मृदुला जी.

    नई पुरानी हलचल से यहाँ आया हूँ.

    आपकी द्रवित हृदय ने द्रवित कर दिया है.

    आप मेरे ब्लॉग से नाराज है क्या?

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  4. एक भ्रम था
    बता दिया ,
    नए समय का
    नया पाठ
    पढ़ा दिया और
    मेरी मान्यताओं को,
    संशोधन की
    ज़रुरत है ,

    यह पाठ पढ़ना भी ज़रुरी है .

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  5. अच्छी प्रस्तुति

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  6. नए समय का
    नया पाठ
    पढ़ा दिया और
    मेरी मान्यताओं को,
    संशोधन की
    ज़रुरत है ,
    सप्रसंग समझा दिया

    बहुत सुन्दर रचना....
    सादर...

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  7. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  8. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  10. मेरी मान्यताओं को,
    संशोधन की
    ज़रुरत है ,
    सप्रसंग समझा दिया .

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  11. अनुभूत सत्य को उजागर करती रचना .

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  12. ज़िंदगी की राहों में वक्त से अच्छा गुरु कौन....

    सुंदर रचना...
    सादर।

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