Wednesday, April 7, 2010

एक- दूसरे को ..........

एक- दूसरे को खुश देखने की
कोशिश में ,
हम
खुश रहते हैं .
समय के साथ -साथ,
एक-दूसरे को
चलाने के लिए,
हम
सप्रयास
चलते रहते हैं और
एक- दूसरे का
दर्द बाँटने के लिए ,
हम
अपना -अपना दर्द
पी लेते हैं.

6 comments:

  1. abhi abhi aapki kavita padhe, bahut hi zyada achi lagi . . .

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  2. aaj pahli bar apka blog padha.behad sashkat lekhan hai.fixed deposit wali kavita bahut badhiya lagi..

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  3. मानवीय रिश्तों पर लिखी यह कविता बहुत अच्छी लगी ... जो भी करते हैं एक दुसरे के लिए ही करते हैं ...

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  4. काफी संतुष्टि प्रदान कर गई यह कविता।

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  5. हम
    अपना -अपना दर्द
    पी लेते हैं.
    Sach!

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  6. ..गहरे भाव लिए सुन्दर रचना

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