एक- दूसरे को खुश देखने की
कोशिश में ,
हम
खुश रहते हैं .
समय के साथ -साथ,
एक-दूसरे को
चलाने के लिए,
हम
सप्रयास
चलते रहते हैं और
एक- दूसरे का
दर्द बाँटने के लिए ,
हम
अपना -अपना दर्द
पी लेते हैं.
Wednesday, April 7, 2010
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abhi abhi aapki kavita padhe, bahut hi zyada achi lagi . . .
ReplyDeleteaaj pahli bar apka blog padha.behad sashkat lekhan hai.fixed deposit wali kavita bahut badhiya lagi..
ReplyDeleteमानवीय रिश्तों पर लिखी यह कविता बहुत अच्छी लगी ... जो भी करते हैं एक दुसरे के लिए ही करते हैं ...
ReplyDeleteकाफी संतुष्टि प्रदान कर गई यह कविता।
ReplyDeleteहम
ReplyDeleteअपना -अपना दर्द
पी लेते हैं.
Sach!
..गहरे भाव लिए सुन्दर रचना
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