मधुमय तुम्हारा हास
मेरे मन का बसंत है,
सुमधुर तुम्हारे श्वासों का
आरोह – अवरोह,
मेरी कल्पना में,
मेरी प्रेरणा में,
कुसुम कली से सुरभित
तरूलता सी,
लिपटी हुई है
और इन आँखों की नमी,
सिर्फ तुम्हारी है ।
Tuesday, December 14, 2010
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और इन आँखों की नमी,
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारी है
हास भी और नमी भी ...सुन्दर अभिव्यक्ति
मृदुला जी!
ReplyDeleteदिल के कोमल भावों को बहुत खूबसूरती से बयान किया है!!
सुन्दर रचना, साधुवाद
ReplyDeleteकविता भाषा शिल्प और भंगिमा के स्तर पर समय के प्रवाह में मनुष्य की नियति को संवेदना के समांतर, दार्शनिक धरातल पर अनुभव करती और तोलती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआज की कविता का अभिव्यंजना कौशल
भावों में कोमलता है .
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
मृदुला जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव....
मृदुला जी,
ReplyDeleteआपकी कविता कोमल भावनाओं का सुन्दर गुलदस्ता है जो मन को सुवासित करने में सक्षम है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
मन के कोमल भाव
ReplyDeleteसुन्दर चयनित शब्द
और पठनीय प्रस्तुति .....
एक अच्छी कृति पर बधाई
chhayawaad ek rahasya ke saath ... bahut badhiyaa
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeletekomal bhavon ki sunder rachna..
ReplyDeleteमन को छूनेवाली एक सुंदर भावयुक्त रचना !
ReplyDeletebahut sunder shbdo me apne bhavon ko piroya hai apne sabhi kavitaye sunder lagi........
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (16/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
सीधे उतर गया ये हास और ये नमी ... बहुत ही मधुर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteसुन्दर भावों से सजी उत्तम प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर इन आँखों की नमी,
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारी है
बहुत सुंदर तरीके से आपने अपनी भावनाओं को शब्द दिए हैं...एक उत्कृष्ट रचना।
और इन आँखों की नमी,
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारी है ।
bahut sundar!
मधुर -मधुर मेरे दीपक जल..
ReplyDeleteमहादेवी जी की याद दिला दी....नए अंदाज़ में.....अद्भुत अभिव्यक्ति....
राजेश
sundar shabdo me buni sundar aur komal bhav abhivyakti .
ReplyDeleteadnaa si nazm mein kitni pyaari baat hai....bohot khoobsurat !!
ReplyDeleteबहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित...आज की रचना "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद
ReplyDelete......और इन आँखों की नमी,
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारी है । .........
एक सुंदर भावयुक्त रचना !
कोमल अहसासों की भावमयी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर. आभार
ReplyDeleteभावमयी प्रस्तुति!
ReplyDeleteसादर
मृदुल प्रेममय भावोद्गार !!!
ReplyDeleteदिल के कोमल भावों,अहसासों को खूबसूरती से बयान किया है
ReplyDeleteमधुर भाव और मधुर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पंक्तियाँ , शुभकामनाएं !
ReplyDeleteइस प्यारी सी कविता में से दो पंक्तियां छांटना मेरे लिये कठिन होगा
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति !
jiske paas aankhon ki nami hai, use aur kya chahiye
ReplyDeleteमृदुला जी
ReplyDeleteआपकी कविता का एक-एक शब्द बहुत सुन्दर है...
मधुमय तुम्हारा हास
मेरे मन का बसंत है,
सुमधुर तुम्हारे श्वासों का
आरोह – अवरोह,
मेरी कल्पना में,
मेरी प्रेरणा में,
कुसुम कली से सुरभित
तरूलता सी,
लिपटी हुई है
और इन आँखों की नमी,
सिर्फ तुम्हारी है ।
बहुत सुन्दर...
आपके ब्लॉग को Follow करना चाहते हैं...
ReplyDeleteअति सुंदर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeletemridula ji bahoot hi sunder prastuti........bhavon ko sunder abhivayakti di hai aapne.
ReplyDeletebahut hi umda....
ReplyDeleteआदरणीय मृदुला जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
waahhh!!!!
ReplyDeletevery nice..
ReplyDeletemere blog par bhi kabhi aaiye..
Lyrics Mantra
बढ़िया रचना...
ReplyDeleteकिसी का हास प्रेरणा बन यदि आँखों से छलक जाये फिर इससे ज्यादा क्या चाहिए!!!सुंदर मन की सुंदर अभिव्यक्ति.............
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