Sunday, April 3, 2011

एक लम्हा........

............और एक दूसरा पहलू यह भी , पचासवीं जयंती का ..........

माना कि वो 
नहीं हैं .......
लेकिन 
एक लम्हा ,
सूर्य ,चन्द्र ,अग्नि ,वरुण 
और 
पृथ्वी कि गवाही 
लेकर ,
आपके साथ 
चल रहा है ,
पचास साल से ........
कैद है 
आपकी आँखों में ,
मन में 
उम्र -कैद है,
कितना घुलनशील है,
आपके साथ
रह रहा है,
पचास साल से.......
प्रतिध्वनि जिसकी
संगीत बनकर,
गूंजती है
कानों में,
संजीवनी का जादू
चलाता है,
प्राणों में,
प्रीत की स्मृति 
जिसकी,
किरण बन 
आशा जगाती,
उस लम्हे का 
ज़िक्र हुआ है.......
उस लम्हे का 
ज़िक्र हुआ है.......तो
पुराने ज़ज्बातों से 
थोड़ी सी खुशबू 
निकालकर,
घर के कोने-कोने में 
बिखरा दीजियेगा 
और आज के दिन की 
मधुरता को 
जिंदा 
रखने के लिए,
स्वर्णिम -जयंती 
ज़रूर 
मना लीजियेगा .
माना की वो 
नहीं हैं.......ग़म है 
लेकिन 
आप तो हैं.......
ये
क्या कम है ?
  


47 comments:

  1. मधुरता को
    जिंदा
    रखने के लिए,
    स्वर्णिम -जयंती
    ज़रूर
    मना लीजियेगा .
    माना की वो
    नहीं हैं.......ग़म है
    लेकिन
    आप तो हैं.......
    ये
    क्या कम है ?

    kya kahne hain!
    har pankti se alag si khusboo aa rahi hai:)

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  2. सुंदर प्रेरणा देता सन्देश .......

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  3. बहुत सुन्दर रचना।

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  4. बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना..

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  5. स्वर्ण जयंती एक अनछुए पहलू को बहुत खूबसूरती से बयां कर रही है आपकी ये रचना ।
    बधाई।

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  6. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  7. उस लम्हे का
    ज़िक्र हुआ है.......तो
    पुराने ज़ज्बातों से
    थोड़ी सी खुशबू
    निकालकर,
    घर के कोने-कोने में
    बिखरा दीजियेगा ...

    किसी का एहसास इतनी शिद्दत से होता है की उसके होने न होने का एहसास गुम जाता है ...
    फिर गहरे एहसास को कोई भूले तो कैसे ..

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  8. बहुत खूबसूरत एहसास ...सुन्दर रचना

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  9. इस कविता में आत्माभिव्यक्ति बहुत परोक्ष रूप से मुखर हुआ है। अनुपस्थिति का अह्सास भी है, स्र्वणिम जयंती की खुशी भी ..
    पुराने ज़ज्बातों से
    थोड़ी सी खुशबू
    निकालकर,
    घर के कोने-कोने में
    बिखरा दीजियेगा
    और आज के दिन की
    मधुरता को
    जिंदा
    रखने के लिए,
    स्वर्णिम -जयंती
    ज़रूर
    मना लीजियेगा .
    कविता की संवेदना मन को छूने वाली है।
    शुभकामनाएं।

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  10. Ye ehsaas,ye yaaden,sada,sada swarnim rahen!

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  11. नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .

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  12. बहुत खूबसूरत एहसास.....कविता मन को छूने वाली है।

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  13. नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
    माँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें

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  14. जिंदा
    रखने के लिए,
    स्वर्णिम -जयंती
    ज़रूर
    मना लीजियेगा .
    माना की वो
    नहीं हैं.......ग़म है
    लेकिन
    आप तो हैं.......
    ये
    क्या कम है ?
    bahut hi sundar ,yaade sada mahkati rahe bas yoon hi .

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  15. खूबसूरत, बेहद खूबसूरत हृदय को झकझोरती रचना के लिए बधाई

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  16. प्रेम की शाश्वतता को दर्शाती एक भावपूर्ण कृति !

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  17. खुबसूरत अहसासों की बहुत अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई

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  18. बेहतरीन रचना......बधाई ।

    आगामी समय आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करे ।

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  19. प्रीत की स्मृति
    जिसकी,
    किरण बन
    आशा जगाती,

    मृदुला जी सुन्दर अहसास सार्थक प्यारी रचना आप का ब्लॉग सुन्दर लगा हिंदी ब्लोगिंग के उच्च शिखर तक जाएँ शुभ कामनाएं
    आदरणीय मृदुला जी बहुत बहुत धन्यवाद बच्चे उनके मन की बातें होती ही हैं ऐसे जो दिल को छू जाती हैं
    आओ इनको गले से लगा प्यार दें आप की प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आप हमारे अन्य ब्लॉग पर भी आयें अपना प्यार व् समर्थन दें
    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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  20. mridula di
    behad bhav purn aur man ko bhigone wali is behatreen ravhna aur naye samvatsar ke liye apko bahut abhut hardik badhai
    dhanyvaad sahit
    poonam

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  21. Mana ki wo nahee hai gum hai magar swarn jayanti jaroor mana lijiye. aap to hain. kitani sakaratmak soch hai. is jajbe ke liye badhaee.

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  22. मधुर यादों का उत्सव ! बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।

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  23. bahut hi sundar sarnhchna.maano kisi ne dil k taar jankrat kiye ho.

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  24. कितना घुलनशील है,
    आपके साथ
    रह रहा है,...

    कितनी सार्थक और गहरी सोच है! आपकी अभिव्यक्ति पर पकड़ काफी अच्छी है, सपनों और हकीकत के बीच में ताना-बना बुनना कोई कलाकार ही कर सकता है|

    शुभकामनाएँ

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  25. bahut hee sunder saheehja hai apne vichaaro ko sabdoo me......bhadai sunder rachna ke liye

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  26. apntv ke ahasaas se srabor rchna ke liye bdhai
    aap ne meri rchna ko mere blog pr aa kr sneh prdan kiya hardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren
    mail dr.vedvyathit@gmail.com
    09868842688

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  27. और आज के दिन की
    मधुरता को
    जिंदा
    रखने के लिए,
    स्वर्णिम -जयंती
    ज़रूर
    मना लीजियेगा .


    पचासवीं जयंती....?
    किसकी ....?
    आपकी ...?
    हालांकि पंक्तियों से पूर्णत: स्पष्ट नहीं फिर भी ....
    आपको ढेरों शुभकामनाएं .....
    रचना आपके काव्य कौशल का परिचय देती है ....!!

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  28. लम्हे ही जो मन में रहते
    दिन रात समय को लौटाते
    समय ना लौटे तो
    जीवन नीरस हो जाए
    निरंतर जीना मुश्किल
    हो जाए
    लम्हे आशा दिलाते
    ढ़ाढस दिल को बंधाते

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  29. भाव पूर्ण रचना के लिए बधाई
    आशा

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  30. "puraane zazbaaton se thodi khushboo nikaalke ghar ke kaune kaune main failaa do "-tum to ho ye kyaa kam hai .
    badhaai -likhaa aapne bhaav virechan ,kaithaarsis hamaari bhi hui ,likhaa aapne bhogaa hamne bhi .
    veerubhai .

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  31. bahut sunder svarnim jayanti.....

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  32. मना लीजियेगा .
    माना की वो
    नहीं हैं.......ग़म है
    लेकिन
    आप तो हैं.......
    ये
    क्या कम है
    क्या बात है!!!

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  33. उस लम्हे का
    ज़िक्र हुआ है.......तो
    पुराने ज़ज्बातों से
    थोड़ी सी खुशबू
    निकालकर,
    घर के कोने-कोने में
    बिखरा दीजियेगा
    और आज के दिन की
    मधुरता को
    जिंदा
    रखने के लिए,
    स्वर्णिम -जयंती
    ज़रूर
    मना लीजियेगा .......इन पंक्तियों के अंदर मौजूद भावनाओं को सिर्फ महसूस किया जा सकता है
    देवेंद्र गौतम

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  34. गहन भावों की भावपूर्ण अभिव्यक्ति ......
    एहसासों की महक ..

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  35. mridula ji first time aapki rachna padhi jaise maine un panktiyon me apne ko aatmsaat kar liya ho ....bahut achchi bhaavpoorn kavita.aapko badhaai.aapka blog follow kar rahi hoon.so that i can read ur update.

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  36. माना की वो
    नहीं हैं.......ग़म है
    लेकिन
    आप तो हैं.......
    ये
    क्या कम है ?

    वाह! अति शानदार अभिव्यक्ति.
    पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर.बहुत अच्छा लगा.
    मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपका स्वागत है.

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  37. मॄदला दी,
    पहली बार आपको पढा ,अब अफ़सोस है कि पहले क्यों नहीं आ पायी!हमारी बडी भाभी का देहान्त हो चुका है ,पर हम आज भी
    भाई-भाभी की शादी की सालगिरह मनाते हैं और भाभी को अपने
    साथ महसूस करते हैं ।आपकी भावाभिव्यक्ति हमारे ही अन्तस को
    सार्थक करती लग रही है.......सादर !

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  38. शानदार अभिव्यक्ति|धन्यवाद|

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  39. भाव प्रधान कविता अच्छी लगी।
    शुभकामनाएं।

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  40. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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