Saturday, September 24, 2011

चलो आज हम अपने ऊपर.........

चलो आज हम
अपने ऊपर,
एक नया असमान
बनायें,
सपनों की पगडण्डी पर
हम,
फूलों का मेहराब
सजाएँ.
वारिधि की उत्तेजित
लहरों से,
कल्लोलिनी वातों में ,
अंतहीन 
मेघाछन्न नभ की,
चंद रुपहली
रातों में,
धवल ताल में 
कमल खिलें 
और 
नवल स्वरों के 
गुंजन में,
धूप खड़ी पनघट से 
 झाँके ,
नीले नभ के
दर्पण में,
रंगों की बारिश में
भींगी
तितली पंख सुखाती हो,
विविध पुलिन-पंखुड़ियों से
जाकर बातें
कर आती हो,
झरने का मीठा पानी
पीने बादल,
नीचे आयें,
पके फलों से
झुके पेड़ पर
तोता -मैना मंडराएं ,
सघन वनों की छाया में
छिट-पुट किरणें 
रहती हों,
माटी के टीलों पर 
पैरों की छापें ,
पड़ती हों,
जहाँ धरती से आकाश मिले 
उस दूरी तक हम 
हो लें ,
मृदुल कल्पना के 
पंखों से,
आसमान  को छू लें.  

25 comments:

  1. वाह ..बहुत सुन्दर .. पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया

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  2. बहुत ही खुबसूरत.....

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  3. झरने का मीठा पानी
    पीने बादल,
    नीचे आयें...
    जहाँ धरती से आकाश मिले
    उस दूरी तक हम
    हो लें ,
    मृदुल कल्पना के
    पंखों से,
    आसमान को छू लें.
    बहुत सुंदर कल्पना ....

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  4. मृदुल कल्पना के पंखों से वास्तव में आसमान छू लिया मृदुला जी ।
    बेहद सुंदर ।

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  5. आपकी कविता की भाषा-शैली एवं अंदाज अच्छा लगा । धन्यवाद ।

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  6. नवल स्वरों के
    गुंजन में,
    धूप खड़ी पनघट से
    झाँके ,
    नीले नभ के
    दर्पण में,
    रंगों की बारिश में
    भींगी
    तितली पंख सुखाती हो,
    विविध पुलिन-पंखुड़ियों से
    जाकर बातें
    कर आती हो,
    झरने का मीठा पानी
    पीने बादल,
    bahut sundar tareef ke liye shabd kam hain.

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  7. "जहाँ धरती से आकाश मिले
    उस दूरी तक हम
    हो लें ,
    मृदुल कल्पना के
    पंखों से,
    आसमान को छू लें. "

    अद्भुत वर्णन.....
    प्राकृतिक सौंदर्य का......!!

    "काश ! होते हम भी वहाँ
    धरती और आकाश मिलते हैं जहाँ....."

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  8. बहुत सुन्दर , सार्थक रचना , सार्थक तथा प्रभावी भावाभिव्यक्ति , ब धाई

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  9. मृदुल अहसासों के मध्य सुंदर शब्दावली का प्रयोग आपकी कविता को संस्कृत साहित्य के निकट ले जाता है...

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  10. रंगों की बारिश में
    भींगी
    तितली पंख सुखाती हो,
    विविध पुलिन-पंखुड़ियों से
    जाकर बातें
    कर आती हो,
    इस रचना में जो शब्द चित्र आपने उकेरे हैं उसके लिए तो कैनवास ही छोटा पड़ गया है। एक आशा और उल्लास जगाती यह रचना मन को हरती है।

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  11. एक बार फिर आपके शब्द कौशल ने मन्त्र मुग्ध कर दिया...नमन है आपकी लेखनी को...अद्भुत

    नीरज

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  12. आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
    जय माता दी..

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  13. वाकई काफी मृदुल कल्पना है आपकी.

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  14. दर्द को सीने से निकल जाने दो,
    चश्मे -सैलाब का तूफान
    गुज़र जाने दो,
    मैं तेरे माज़ी का
    बहाना ही सही,
    किसी हाशिये पर,
    मुझे भी
    ठहर जाने दो....

    मृदुला जी आज कल क्षणिकायें एकत्रित कर रही हूँ 'सरस्वती सुमन' पत्रिका के लिए
    आपकी ये क्षणिका अच्छी लगी ....
    आप अपनी बेहतरीन १०,१२ क्षणिकायें , संक्षिप्त परिचय और तस्वीर भेज dein ....

    harkirathaqeer@gmail.com

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  15. शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.

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  16. दर्द को सीने से निकल जाने दो,
    चश्मे -सैलाब का तूफान
    गुज़र जाने दो,
    मैं तेरे माज़ी का
    बहाना ही सही,
    किसी हाशिये पर,
    मुझे भी
    ठहर जाने दो....

    मृदुला जी आज कल क्षणिकायें एकत्रित कर रही हूँ 'सरस्वती सुमन' पत्रिका के लिए
    आपकी ये क्षणिका अच्छी लगी ....
    आप अपनी बेहतरीन १०,१२ क्षणिकायें , संक्षिप्त परिचय और तस्वीर भेज dein ....

    harkirathaqeer@gmail.com

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  17. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  18. बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है! शानदार प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  19. धूप खड़ी पनघट से
    झाँके ,
    नीले नभ के
    दर्पण में,
    रंगों की बारिश में
    भींगी
    तितली पंख सुखाती हो,
    विविध पुलिन-पंखुड़ियों से
    जाकर बातें
    कर आती हो,....


    सुन्दर उपमाओं की सुन्दर काव्यपंक्तियां.....

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  20. सुंदर भाव..खूबसूरत अभिव्यक्ति
    बेहतरीन कविता.
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

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  21. भावपूर्ण रचना के लिए बधाई!

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