Monday, December 5, 2011

माँ के गले का हार.......

माँ के गले का हार,
भाभी के गले से
होता हुआ....
जब दिखा,
तुम्हारे गले में
उस दिन.....
तो अनायास ही,
कितने वर्ष
पीछे,
चली गयी थी मैं .....
एक चित्र सा
बनने लगा था,
आँखों के सामने.....
माँ के गले में                
झूलते हुए
हार से,
खेलती हुई,
एक छोटी सी बच्ची का
हाथ .....और
उस बच्ची की
उँगलियों की
हरकतों को,
महसूस करने लगी थी
मैं,
खुद की
उँगलियों पर.
दूसरे ही छण,
हास-परिहास
करती हुई,
हमजोली भाभी के
गले में
डोलते हुए
हार की,
पहचानी सी आवाज़,
गूँजने लगी थी,
कानों में.
अतीत के आह्लाद का,
रसास्वादन
करता हुआ
मेरा मन......
जैसे पीछे की ओर
चलने लगा था
कि
सामने से आती हुई
बारात में.......तुम,
सजी-संवरी
मुस्कुराती  हुई,
  पहले   से
कहीं  ज़्यादा
सुंदर  लगने  लगी थी.......
कि
तुम्हारे माध्यम  से
मैं,
उन  सुंदर पलों  को
एक बार फिर
मिल आयी थी.......

36 comments:

  1. खूबसूरत प्रस्तुति ||
    बहुत बहुत बधाई ||

    terahsatrah.blogspot.com

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  2. बहुत सुन्दर भाव ! कविता मन में उतर गयी !
    आभार !

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  3. बेहद खूबसूरत भावो का समावेश्।

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  4. एहसास,भाव और सुन्दरता का बेजोड़ संगम .......

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  5. रिश्ते, पीढियाँ और धरोहर... इन तीन प्रतीकों के माध्यम से परम्परा की जो तस्वीर आपने खींची है वो बेहद खूबसूरत है!!

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  6. wakai aankhon mein ek smit kee rekha aai aur aashish nikla

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  7. उन पलों को फिर से जीना भी सुखद ही होता है ..सुन्दर रचना.

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  8. विरासत ही यौवन वापस लाता है।

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  9. बहुत सुंदर मन के भाव कहती रचना ...

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  10. तुम्हारे माध्यम से
    मैं,
    उन सुंदर पलों को
    एक बार फिर
    मिल आयी थी.......

    कितना सुखद अहसास ।

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  11. सुंदर प्रतीकों से सजी बढ़िया पोस्ट. मनोभावों का खूबसूरत चित्रण.

    बधाई.

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  12. बहुत सुन्दर रचना....
    सादर...

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  13. बहुत सुन्दर पन्तिया........मेरा हौसला बढाने के लिए धन्यवाद

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  14. किसी से मिलकर हम पल भर में किसी और से भी मिल आते हैं...पता ही नहीं चलता मन वर्षों की दूरी कब तय कर लेता है..सुंदर कविता!

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  15. हार को देख बचपन में लौटते हुए सुन्दर भाव संजोये हैं ...

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  16. chitr sa uttpan kari aapki kavita bahut achchhi lagi
    rachana

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  17. behad bhaavpurn shabd...

    तुम्हारे माध्यम से
    मैं,
    उन सुंदर पलों को
    एक बार फिर
    मिल आयी थी.......

    badhai.

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  18. अंतस के भावों से सुंदर शब्दों में पिरोयी गयी आपकी रचना बेहद ही अच्छी लगी । मरे नए पोस्ट "आरसी प्रसाद सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  19. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 08 -12 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज... अजब पागल सी लडकी है .

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  20. kya baat ... ma sang guzari vo pyari si yaadain... sabse anmol hoti hain na..

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  21. माँ के संग बीते क्षण ..कभी नहीं भूल सकते ..
    यह भावपूर्ण एहसास आप की इस रचना ने
    बड़ी खूबसूरती से किया है..बहुत बधाई !
    कभी वक़्त हो तो मेरी रचना " माँ " जरूर पढ़े..
    http://dayinsiliconvalley.blogspot.com/

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  22. ek peedhi se dusri peedhi tak pahunchte pahunche kitna safar tay ho jata hai...lekin pal bhar me vichran bhi kar aate hain..

    sunder prastuti.

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  23. भावुक कर देने वाली रचना।

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  24. तुम्हारे माध्यम से
    मैं,
    उन सुंदर पलों को
    एक बार फिर
    मिल आयी थी.......wah bahut hi sunder bhavo ki prastuti .
    kab suru hui kab khtam .....baas aankho ko nam kar gayi . badhai

    http://sapne-shashi.blogspot.com

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  25. rishton aur samay ke beech ek pul banati kvita... achhi lagi

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  26. बहन mridula अभिवादन स्वीकार करें
    आपकी रचना ने माँ और मेरा बचपन याद दिला दिया,
    भावुक एवं सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये आभार तथा बधाई।

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  27. बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति |

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  28. भावमयी सुन्दर प्रस्तुति...

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  29. खूबसूरत भावो का समावेश्.

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  30. सुंदर भावों की बेहतरीन प्रस्तुति,....

    मेरे नए पोस्ट की चंद लाइने पेश है..........

    नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
    देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
    इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
    इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,

    अगर आपको पसंद आए तो समर्थक बने....
    मुझे अपार खुशी होगी,..............धन्यबाद....

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  31. सरल मीठी प्यारी सी कविता .

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