कैसी है ये यात्रा,
कैसा है ये सफ़र,
इधर
और उधर,
सिर्फ़
नए,अपरिचित
चेहरे.
कहीं बच्चों की
कतार,
कहीं सरदारजी
सपरिवार,
कोई खा रहा
'चौकलेट'
कोई पी रहा
सिगार,
किसे दिखाऊँ
उस औरत का
जूड़ा,
किसे दिखाऊँ
उन महाशय की
मूंछें,
किससे कहूँ
'एयर-बैग' उतारो,
किससे कहूं
'सीट-बेल्ट' बाँधो.
किसे पिलाऊँ
अपने हिस्से का
'कोल्ड-ड्रिंक',
किसके कन्धों पर
सोऊँ
उठंगकर.......कि
बगल की कुर्सी पर
न तुम,न तुम
और
न तुम.
कैसा है ये सफ़र,
इधर
और उधर,
सिर्फ़
नए,अपरिचित
चेहरे.
कहीं बच्चों की
कतार,
कहीं सरदारजी
सपरिवार,
कोई खा रहा
'चौकलेट'
कोई पी रहा
सिगार,
किसे दिखाऊँ
उस औरत का
जूड़ा,
किसे दिखाऊँ
उन महाशय की
मूंछें,
किससे कहूँ
'एयर-बैग' उतारो,
किससे कहूं
'सीट-बेल्ट' बाँधो.
किसे पिलाऊँ
अपने हिस्से का
'कोल्ड-ड्रिंक',
किसके कन्धों पर
सोऊँ
उठंगकर.......कि
बगल की कुर्सी पर
न तुम,न तुम
और
न तुम.
वाह !!
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
बहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,मृदुला जी,...
ReplyDeleteसुंदर भाव की रचना के लिए बधाई,.....
MY NEW POST...आज के नेता...
सशक्त और प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteKitna akelapan chhupa hai is rachana me!
ReplyDeleteakela safar ajnabi chehre kisi ki yadon ke sahare.bahut sundar....vaah
ReplyDeleteबड़ा लिमिटेड यूज़ है...तुम्हारा...हा...हा...हा...खूबसूरत भाव...
ReplyDeleteसिर्फ और सिर्फ सन्नाटा है ...
ReplyDeleteसांझ ढाले गगन तले हम कितने एकाकी!!
ReplyDeleteकहाँ घूम कर आई हैं अकेली ? सफर में यादों का सफर किया ...
ReplyDeleteएक यात्रा तेरे बिन.....
ReplyDeleteयात्रा में सिगार? अकेले मत घूमने जाइए, कभी कोई कंधा मिल गया तो तकलीफ होगी।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteयात्रा में कोई साथ हो तो आनंद दुगना हो जाता है...सुंदर अहसास !
ReplyDeletebahut sundar chitran ...
ReplyDeleteकिसी खास की अनुपस्थिति का अहसास।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी कविता।
ReplyDeleteतेरी याद आ रही हैं.....तेरे जाने के बाद आ रही हैं
Deleteakele safar
ReplyDeletebadkismatee
न तुम, न तुम, न तुम, कितने तुम हैं । मज़ाक कर रही हूँ । अकेलेपन का अहसास बखूबी व्.क्त हो रहा है इस रचना में ।
ReplyDeleteकितने सच्चे और महसूस किये हुये बिम्ब!
ReplyDeleteएकाकी मन यात्रा में भी जैसे ठहरा हुआ एक ही बिन्दु पर!
अकेलेपन का सुंदर चित्रण.....
ReplyDeleteये बगल की कुर्सी पर हमेशा अनजान यात्री ही क्यों आ विराजते हैं?
ReplyDeletewah bahut khoob
ReplyDeletevery interesting...
ReplyDeleteकिसी केनवास पे जैसे चित्र खींच दिया हो ... लाजवाब ...
ReplyDeletebahut hi sidhe saade shbdon me ek bahut umda rachna,bdhaai ap ko
ReplyDeleteअपरिचितों के बीच यात्रा की झीनी सी टेंशन...बहुत खूब.
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