Sunday, December 30, 2012

रोज़मर्रा की छोटी-छोटी बातों में......

रोज़मर्रा की छोटी-छोटी बातों में
जब ढूँढने लगी
खुशियाँ
तो लगा......
खुशियों की कोई
कीमत नहीं होती,
रद्दी से मिले
एक सौ अस्सी रूपये में
खुशी  होती है,
मटर पच्चीस से बीस का
किलो
हो जाये
खुशी होती है,
'स्वीपर','माली''मेड '
'ड्राइवर'
समय से आयें
खुशी होती है,
आलू के पराठे पर
'बटर'
पिघल जाये
खुशी  होती है,
चक्कर लगा घर के
कोने-कोने में
खुशी होती है,
'बुक-सेल्फ' से निकालकर
किताब
पढ़ने में
खुशी होती है,
पर्दे सही लग जाएँ
खुशी होती है,
'टेबल-क्लौथ'  धुल जाएँ
खुशी होती है........तो
रोज़
बड़ी-बड़ी खुशियाँ
कहाँ मिलने वाली.....
चलो,इसी में
जी लिया जाये,
जाड़े का मौसम है
क्यों न
एक 'कप' गर्म चाय का
आनंद लिया जाये.








18 comments:

  1. जाड़े का मौसम है
    क्यों न
    एक 'कप' गर्म चाय का
    आनंद लिया जाये.
    .....क्या बात है मृदुला जी !
    बहुत खूबसूरत ....

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  2. ALWAYS BE HAPPY FOR NO REASON AND NO SEASON.

    GREAT THOUGHTS.

    HAPPY UDTA PANCHHI.

    अपना आशीष दीजिये मेरी नयी पोस्ट

    मिली नई राह !!

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  3. अच्छी रचना
    अच्छी बात

    नववर्ष की मंगल कामनाएं

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  4. बड़ी-बड़ी खुशियाँ
    कहाँ मिलने वाली.....
    सच्‍ची बात ...

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  5. सुन्दर रचना ...
    आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
    :-)

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  6. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। धन्यवाद सहित

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  7. नूतन वर्षाभिनंदन मंगलकामनाओं के साथ.

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  8. बहुत उम्दा.बेहतरीन श्रृजन,,,,
    नए साल 2013 की हार्दिक शुभकामनाएँ|
    ==========================
    recent post - किस्मत हिन्दुस्तान की,

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  9. जाड़े का मौसम है
    क्यों न
    एक 'कप' गर्म चाय का
    आनंद लिया जाये.....
    सच ख़ुशी बड़ी हो या छोटी बस जब मौका मिले समेट कर खुश हो जाना ही अच्छा... .
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....
    आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामना..

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  10. नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो आपको |
    उम्दा रचना |
    आशा

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  11. छोटी छोटो खुशियों में ही आसमान जितनी खुशियाँ होती हैं,उसी में होती है सुकून भरी नींद और अपने होने का एहसास

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  12. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    रोज़
    बड़ी-बड़ी खुशियाँ
    कहाँ मिलने वाली.....
    चलो,इसी में
    जी लिया जाये,
    जाड़े का मौसम है
    क्यों न
    एक 'कप' गर्म चाय का
    आनंद लिया जाये.

    वाऽह ! क्या बात है !
    आपकी कविता पढ़ते हुए , इस सर्दी में रज़ाई में बैठे बैठे , श्रीमतीजी के हाथ की गरमागरम चाय से मिल रही ख़ुशी के क्या कहने !!

    आदरणीया मृदुला प्रधान जी
    नव वर्ष की बहुत सारी मंगलकामनाओं के साथ
    आपकी सुंदर रचनाओं के लिए साधुवाद !

    आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन होता रहे …
    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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  13. बिलकुल सही लिखा है..छोटी छोटी चीजों में ही बहुत सारी ख़ुशी होती है. और फिर बात चाय (मेरे एकलौते व्यसन) की हो जाए तो कुछ कहा नहीं जाएगा :)

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  14. छोटी छोटी खुशियाँ ही जीने का संबल हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  15. वाह क्या बात है ....:))
    और हम खुश हो लेते हैं आप जैसे रचनाकारों की कवितायेँ पढ़कर .....

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  16. खुशियाँ तो रुई के उड़ते फाहों में भी मिल जाती हैं .... अजीब है खुशियों की परिभाषा .

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  17. मृदुला जी, नमस्ते!
    पोस्ट पढ़ी, ख़ुशी हुई!

    --
    थर्टीन रेज़ोल्युशंस

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