पहले जिठानी और अब देवर,
कई बार ऐसा होता है........जब परिवार के लोग मिलते हैं ...... अनायास ही किसी बात पर एक कविता का जन्म हो जाता है. कुछ दिनों पहले मेरे देवर आये.......अब देखिये कैसी कविता बन गयी
खास उनके लिए.........
आती नहीं है
घर में मेरे,
बोतल-ए-शराब,
बेइख्तियार लत हो तो......
पीकर यहाँ आना.
हर रंग की बोतल में
मिलेगा यहाँ
पानी,
हल्कों की तरावट को
मिलेगा यहाँ
पानी,
निम्बू निचोड़कर,नमक
चाहो तो डाल लो,
शीशे की गिलासों में
मिलेगा यहाँ
पानी.
जो ज़ाम भर सके
वो
सुराही नहीं यहाँ,
चढ़ जाये जो
आँखों में
वो
प्याली नहीं यहाँ,
'पेप्सी' से सट के
हैं खड़ी,
'लिम्का' की बोतलें,
धीरे से कह रहीं
कोई,
हमको भी तो
पी ले,
कितना भी पियें
हम तो
बहकने नहीं देंगे.....
अपना तो ये वादा है
कि
गिरने नहीं देंगे.
बहुत खूब ..
ReplyDelete.. दीपपर्व की शुभकामनाएं !!
हा-हा-हा
ReplyDeleteरोचक!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
aur gir gaye to uthne naa denge,
ReplyDeletemridulaajee bahut sundar,mazaa aa gayaa,soch rahaa hoon ,peene waalon ko kaisaa lagegaa
दीवाली पर होली नुमा कविता.. मगर जब देवर भाभी मिलें तो सब फागुन है!! नशीली कविता!!
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteएक साल की बिटिया रानी, चल खुशियाँ संग मना
ReplyDeleteहोगी बात जुबानी अब तो, नज़रों से नहीं सुना
एक दिवाली ऐसी भी थी, जब गया गरीब धुना
कभी न आती घर में मेरे, चल इक प्रोग्राम बना
आपकी उत्कृष्ट पोस्ट का लिंक है क्या ??
आइये --
फिर आ जाइए -
अपने विचारों से अवगत कराइए ||
शुक्रवार चर्चा - मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
रोचक और बहतरीन पोस्ट....
ReplyDeletewaah.....
ReplyDelete:):) आप तो सारे राज़ ही खोले दे रही हैं ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteWah! Bahut khoob!
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteआपको दीपावली की मंगल कामनाएं ...
बहुत खूब ...
ReplyDeletewah!!!
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
दीवाली पर तो वैसे भी दो दिए ज्यादा जलाने थे...इस बार...सो कोक का ज़िक्र होना चाहिए...
ReplyDeleteसंदेशपूर्ण रचना
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपावली व नववर्ष की शुभकामनाएं !
रिश्तों को परिभाषित करती सुन्दर कविता... आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteअपनों की आने पर ख़ुशी दुगुनी होती है....सच में यही तो अपनों का प्यार है तभी तो इतनी सुन्दर कविता बन पड़ी है..
ReplyDeleteआपको दीप पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें
बहुत ही सुन्दर , सब्द नहीं है आपकी कविता की प्रशंसा करने के लिए ! क्या कहू !
ReplyDeleteHappy diwali! hitch---
ReplyDeleterochak kavita....
ReplyDeleteमृदुला जी इस रचना के साथ-साथ ,तुम्हारा बिगडैल प्यार ,भी पढी । बहुत सुन्दर लगी । दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
RajputsParinay
भले बहक जायं मगर पी के कहीं और से आयें -क्या बात है ?:)
ReplyDeleteरोचक!
ReplyDeleteबहुत खूब! शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeletevery innovative creation !
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती हुई लाजवाब और रोचक कविता ! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
very well written...
ReplyDeleteकल 02/11/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
ReplyDeleteधन्यवाद!
कितना भी पियें
ReplyDeleteहम तो
बहकने नहीं देंगे.....
अपना तो ये वादा है
कि
गिरने नहीं देंगे.bhut khub.
वाह!
ReplyDeletewow, bohot achi kavita
ReplyDeletebahut achcha sandesh deti hui prastuti.
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteसादर बधाई..
अच्छी रचना,
ReplyDeleteमेरी पोस्ट पर आइये स्वागत है....
I am the lucky person on whom this beautiful poem is written......a gift to me from my Bhabhi
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