Wednesday, October 26, 2011

आती नहीं है घर में मेरे........

पहले जिठानी और अब देवर,
कई बार ऐसा होता है........जब परिवार के लोग  मिलते  हैं ......  अनायास   ही किसी बात पर एक कविता का जन्म हो जाता है. कुछ दिनों पहले मेरे देवर  आये.......अब  देखिये कैसी  कविता बन गयी
खास उनके लिए.........

आती नहीं है 
घर में मेरे,
बोतल-ए-शराब,
बेइख्तियार लत हो तो......
पीकर यहाँ आना.
हर रंग की बोतल में
मिलेगा यहाँ
पानी,
हल्कों की तरावट को
मिलेगा यहाँ
पानी,
निम्बू निचोड़कर,नमक
चाहो तो  डाल लो,
शीशे की गिलासों में 
मिलेगा यहाँ 
पानी.
जो ज़ाम भर सके 
वो 
सुराही नहीं यहाँ,
चढ़ जाये जो 
आँखों में
वो 
प्याली नहीं यहाँ,
'पेप्सी' से सट के 
हैं खड़ी,
'लिम्का' की बोतलें,
धीरे से कह रहीं 
कोई,
हमको भी तो 
पी ले,
कितना भी पियें 
हम तो
बहकने नहीं देंगे.....
अपना तो ये वादा है 
कि
गिरने नहीं देंगे.  

39 comments:

  1. बहुत खूब ..
    .. दीपपर्व की शुभकामनाएं !!

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  2. हा-हा-हा
    रोचक!
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. aur gir gaye to uthne naa denge,

    mridulaajee bahut sundar,mazaa aa gayaa,soch rahaa hoon ,peene waalon ko kaisaa lagegaa

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  4. दीवाली पर होली नुमा कविता.. मगर जब देवर भाभी मिलें तो सब फागुन है!! नशीली कविता!!

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  5. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  6. एक साल की बिटिया रानी, चल खुशियाँ संग मना
    होगी बात जुबानी अब तो, नज़रों से नहीं सुना
    एक दिवाली ऐसी भी थी, जब गया गरीब धुना
    कभी न आती घर में मेरे, चल इक प्रोग्राम बना

    आपकी उत्कृष्ट पोस्ट का लिंक है क्या ??
    आइये --
    फिर आ जाइए -
    अपने विचारों से अवगत कराइए ||

    शुक्रवार चर्चा - मंच
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. रोचक और बहतरीन पोस्ट....

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  8. :):) आप तो सारे राज़ ही खोले दे रही हैं ... अच्छी प्रस्तुति

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  9. बहुत खूब ...
    आपको दीपावली की मंगल कामनाएं ...

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  10. आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  11. दीवाली पर तो वैसे भी दो दिए ज्यादा जलाने थे...इस बार...सो कोक का ज़िक्र होना चाहिए...

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  12. संदेशपूर्ण रचना
    आपको सपरिवार दीपावली व नववर्ष की शुभकामनाएं !

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  13. रिश्तों को परिभाषित करती सुन्दर कविता... आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएं !

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  14. अपनों की आने पर ख़ुशी दुगुनी होती है....सच में यही तो अपनों का प्यार है तभी तो इतनी सुन्दर कविता बन पड़ी है..
    आपको दीप पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें

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  15. मृदुला जी इस रचना के साथ-साथ ,तुम्हारा बिगडैल प्यार ,भी पढी । बहुत सुन्दर लगी । दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं

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  16. भले बहक जायं मगर पी के कहीं और से आयें -क्या बात है ?:)

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  17. बहुत खूब! शुभकामनायें।

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  18. आपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  19. वाह ...बहुत खूब ।

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  20. सुन्दर सन्देश देती हुई लाजवाब और रोचक कविता ! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  21. कल 02/11/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।

    धन्यवाद!

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  22. कितना भी पियें
    हम तो
    बहकने नहीं देंगे.....
    अपना तो ये वादा है
    कि
    गिरने नहीं देंगे.bhut khub.

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  23. bahut achcha sandesh deti hui prastuti.

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  24. अच्छी रचना,
    मेरी पोस्ट पर आइये स्वागत है....

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  25. I am the lucky person on whom this beautiful poem is written......a gift to me from my Bhabhi

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