सुन हवा का
मंद स्वर
कुछ-कुछ थिरकने
मैं लगा हूँ,
आपके सानिध्य में
दिन-रात
जो रहने लगा हूँ.
मैं सुबह की
ओस में, मोती
उगाने
अब लगा हूँ,
भ्रमर- दल की
गुनगुनाने में, गुनगुनाने
अब लगा हूँ .
खग-विहग कल्लोल से
कल्लोल
मैं करने लगा हूँ,
बादलों को थामकर
अक्सर,
ज़रा उड़ने लगा हूँ.
मैं समंदर की
लहर से, गुफ़्तगू
करने लगा हूँ,
तितलियों के पंख पर
कुछ-कुछ
कभी
धरने लगा हूँ.
ख़्वाब की दुनिया में
मैं भी
बैठकर चलने लगा हूँ,
आपके सानिध्य में
दिन-रात
जो रहने लगा हूँ.
मंद स्वर
कुछ-कुछ थिरकने
मैं लगा हूँ,
आपके सानिध्य में
दिन-रात
जो रहने लगा हूँ.
मैं सुबह की
ओस में, मोती
उगाने
अब लगा हूँ,
भ्रमर- दल की
गुनगुनाने में, गुनगुनाने
अब लगा हूँ .
खग-विहग कल्लोल से
कल्लोल
मैं करने लगा हूँ,
बादलों को थामकर
अक्सर,
ज़रा उड़ने लगा हूँ.
मैं समंदर की
लहर से, गुफ़्तगू
करने लगा हूँ,
तितलियों के पंख पर
कुछ-कुछ
कभी
धरने लगा हूँ.
ख़्वाब की दुनिया में
मैं भी
बैठकर चलने लगा हूँ,
आपके सानिध्य में
दिन-रात
जो रहने लगा हूँ.
कुछ लोगों का साथ हममें एक नया जोश, नई उमंग और नए रंग भर ही देता है, और असंभव भी संभव हो जाता है।
ReplyDeleteख़्वाब की दुनिया में
ReplyDeleteमैं भी
बैठकर चलने लगा हूँ,
आपके सानिध्य में
दिन-रात
जो रहने लगा हूँ.
होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
रंगों की बहार!
छींटे और बौछार!!
फुहार ही फुहार!!!
रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!
नमस्कार!
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteहोली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
मैं सुबह की
ReplyDeleteओस में, मोती
उगाने
अब लगा हूँ,
खग-विहग कल्लोल से
कल्लोल
मैं करने लगा हूँ .
Wah!
Holi kee anek shubh kamnayen!
बहुत खूबसूरत भाव .... इन्द्रधनुष से लेकर सात रंग
ReplyDeleteघोला है इसमें मैंने आठवां रंग - स्नेह का , दुआओं का , आशीषों का
होली की शुभकामनायें ...
किसी का साथ कितना कुछ कर जाता है जीवन में ... सुन्दर रचना ...आपको और परिवार में सभी को होली की शुभ कामनाएं ...
ReplyDeletekhubsurat bhaw...:)
ReplyDeleteholi ki shubhkmanayen..
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 -03 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete..रंग की तरंग में होली की शुभकामनायें .. नयी पुरानी हलचल में .
"बादलों को थामकर
ReplyDeleteअक्सर,
ज़रा उड़ने लगा हूँ.
मैं समंदर की
लहर से, गुफ़्तगू
करने लगा हूँ,"
बहुत सुंदर कल्पना, भाव और अभिव्यक्ति !
होली की बधाई !
ये सानिध्य ही ठौर है ,गतिमय रचना..होली की शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना । होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteआपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
किसी का साथ, किसी खास शख्स का.. बिलकुल ऐसा ही एहसास भर देता है मन में.. कमाल की लयात्मकता से भरी कविता!!
ReplyDeleteबादलों को थामकर
ReplyDeleteअक्सर,
ज़रा उड़ने लगा हूँ.
मैं समंदर की
लहर से, गुफ़्तगू
करने लगा हूँ,
तितलियों के पंख पर
कुछ-कुछ
कभी
धरने लगा हूँ.
बहुत खूबसूरत.......
होली की शुभकामनाएँ.
वाह-वाह
ReplyDeleteबहूत सुकोमल से भाव ..सुंदर,प्यारी रचना...
होली पर्व कि ढेर सारी शुभकामनाये
प्रकृति के सारे रंग आपके जीवन को महका दें | होली की हार्दिक शुभकामनाएं |
ReplyDeleteBehtareen..Bahut khoob
ReplyDeleteतितलियों के पंख पर
ReplyDeleteकुछ-कुछ
कभी
धरने लगा हूँ.
ख़्वाब की दुनिया में
मैं भी
बैठकर चलने लगा हूँ,
आपके सानिध्य में
दिन-रात
जो रहने लगा हूँ.
commentless beautiful HEART TOUCHING lines