चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
अतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
कोई माला ,कोई मोती ,
किसी सिक्के से
सुनें कहानी,
बर्तनों के ढेर से
सुन लें
उनकी जुबानी.
पूछें घर के
कोने-कोने से
कल की बातें......
हँस लें ,मुस्कुरा लें,
गा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
अतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
कोई माला ,कोई मोती ,
किसी सिक्के से
सुनें कहानी,
बर्तनों के ढेर से
सुन लें
उनकी जुबानी.
पूछें घर के
कोने-कोने से
कल की बातें......
हँस लें ,मुस्कुरा लें,
गा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
हां, पुरानी मीठी याद किसी नयी कड़वाहट को झट मिटा देती है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मृदुला जी....
सादर
चलो भी.... जीने के लिए इनकी बड़ी ज़रूरत है
ReplyDeleteनिदा साहब फरमाते हैं कि
ReplyDeleteअपना गम लेके कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को संवारा जाए!
और आपकी कविता पढकर पता चला कि क्यों ज़रूरी है उन्हें संवारना!! बहुत आनंददायक!!
जो चीज़ें बिखरी पड़ी होती हैं, कब्बाड़ के कोने में उपेक्षित पड़ी होती हैं, बड़ी बेतरतीब ढंग से इधर उधर रखकर भुला बिसरा दी गई होती हैं, उनसे बोलें-बतियाएं तो ऐसी-ऐसी गाथाएं सुनने को मिलेंगी जो करीने रखी, सजी-सजाई चीज़ों में नहीं मिलती।
ReplyDeleteसचमुच बहुत कुछ कहती हैं ये सभी चीजें, उदासी दूर करने का सुन्दर सा साधन होती हैं...
ReplyDeleteकहाँ पलायन से मिले, समाधान मुस्कान ।
ReplyDeleteचलो सजाएं घर तनिक, बोझिल मन उकतान ।।
चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
ReplyDeleteअतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......
my resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
बहुत सुंदर भाव ... यादों से अपनेपन का एहसास कराती आपकी ये पंक्तियाँ अच्छी लगी...
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
उदास मन को घर ही सुकून देता है ....!!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ...!!
Kaash! Ye bhee udaas shaam isee tarah bhaag jaye!
ReplyDeleteBehad sundar rachana!
बहुत बढ़िया रचना मृदुला जी...
ReplyDeleteदुबारा लिख रही हूँ...मेरा कमेन्ट जाने कहाँ गया...
सादर.
bahut hi khoobsoorat rachana .....saadar badhai pardhan ji.
ReplyDeleteयादो के पिटारे जब भी खुलते है कई अहसाह अपने आगोश में हमें ले लेते है...जरूरी नहीं की हर बार याद उदासी ही दे जाये .
ReplyDeleteवो शाम कुछ अजीब थी
ReplyDeleteजब यादों के खंज़र चलते है...
bahut sunder! :-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने!
ReplyDeleteजंग लगे बक्सों के
ReplyDeleteतालों को
खोल डालें,
कोई माला ,कोई मोती ,
किसी सिक्के से
सुनें कहानी,
बर्तनों के ढेर से
सुन लें
उनकी जुबानी.
यादों की गठरी से उदास शाम को मनभावन बनाना ....सुन्दर शब्द सुन्दर कल्पना
सुंदर भाव अभिव्यक्ति
ReplyDeleteस्मृतियों से बढ़कर और कोई दोस्त नहीं ...
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना
बहुत खूब ... यादों का डर खात्खाने से बड़ा सुख नहीं ... अगर यादें हसीन हों ... बहुत लाजवाब ..
ReplyDeleteउदासी में भी यादें अच्छे पलों को बिखेर देती है..अच्छी लगी..
ReplyDeleteआपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 13/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 23/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत खूबसूरत एवं नितांत मौलिक रचना मृदुला जी ! मन को अंदर तक आल्हादित कर गयी ! बहुत खूब !
ReplyDeleteउदासी को दूर करने का नायाब तरीका ...सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत कोमल भावों से सजी सुन्दर रचना |
ReplyDeleteअतीत में सुकून तलाशती रचना ...बहुत खूब!
ReplyDeleteपास जो चीजें पडी हैं
ReplyDeleteवे ही खुशियों की लड़ी हैं
चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
ReplyDeleteअतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
bahut umda bhaav behtreen prastuti.
बहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है
ReplyDeleteदिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद: एक विधवा माँ ने अपने बेटे को बहुत मुसीबतें उठाकर पाला। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। बड़ा होने पर बेटा एक लड़की को दिल दे बैठा। लाख ...
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
उदासी को दूर भगाना बहुत जरूरी है.....बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteउदासी को दूर भगाइए
ReplyDeleteखुशियों को बटोरने में जुट जाइये..
सुन्दर रचना
शुभकामनाए:-)
यादो के झरोखों में बहुत कुछ छुपा होता है
ReplyDeleteअच्छी यादें हमारी उदासी को बहुत आसानी से दूर करती है. बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteखूबसूरत कविता
ReplyDelete
ReplyDelete♥
चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
अतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
कोई माला ,कोई मोती ,
किसी सिक्के से
सुनें कहानी,
बर्तनों के ढेर से
सुन लें
उनकी जुबानी.
पूछें घर के
कोने-कोने से
कल की बातें......
हँस लें ,मुस्कुरा लें,
गा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
बहुत खूबसूरत !
मुबारकबाद !
कोमल भावो से सजी सुन्दर रचना..
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत एहसास.... जीवन को भरपूर जीने की शिक्षा देती सुंदर कविता.
ReplyDeleteताकत
बहुत खूब! पुरानी यादें भी कभी सहारा बन् जाती हैं...
ReplyDeleteऐसी कोशिशें जिंदगी को जिंदादिल से जीने के लिए जरूरी हैं !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteहँस लें ,मुस्कुरा लें,
ReplyDeleteगा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
बहुत ही बढि़या।
यादें मन को कितना सुकून देती हैं।
ReplyDeleteअच्छे शब्द, सुंदर भाव !
बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
ReplyDeleteनवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
अतीत में प्रवेश करें
ReplyDeleteऔर उसे नया बना लें
चलो.........
Deleteचलो, पुराने कपड़ों की तहों से
अतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
पुराने सामान को खंगालते हुए ऐसे ही मन अतीत की ओर पुराने सामान को खंगालते हुए ऐसे ही मन अतीत की ओर लौटता है ,वक्त रुक जाता है,वर्तमान हवा हो जाता है .
चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
ReplyDeleteअतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
वाह सुंदर सोच. सुंदर विचार.
bahut bahut hi umda post---
ReplyDeletepoonam
Chalo fir aisa hi kuchh karein.. :)
ReplyDeleteki mann ki girahein kholne k lie koi nahi milta, saaman se hi dil behla lein...
आज की शाम
ReplyDeleteबड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
जीवन का आनंद हैं ऐसे विचार ...यह फूलते रहें यही कामना है ...
वाह.....क्या बात है...
ReplyDeleteहँस लें ,मुस्कुरा लें,
ReplyDeleteगा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
अच्छी कविता..... एक सार्थक और आशावाद में ढली कविता! प्रस्तुति उम्दा हैं
हँस लें ,मुस्कुरा लें,
ReplyDeleteगा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
aapaki is sundar rachana men mujhe apana hi gharonda nazar aaya.aisa laga hum baithe hain apanon ke hi biich.
हँस लें ,मुस्कुरा लें,
ReplyDeleteगा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.
lajavab kavita
rachana
सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeletehttp://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html
उदासी दूर भागने का यह तरीका अच्छा है
ReplyDeleteयादों में जादू है कैसी भी उदासी भाग जाती है ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना ।
बहुत अच्छा लिखे हो, मम्मी
ReplyDelete