Wednesday, March 21, 2012

चलो.........

चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
अतीत की यादों को
निकालें,
जंग लगे बक्सों के
तालों को
खोल डालें,
कोई माला ,कोई मोती ,
किसी सिक्के से
सुनें कहानी,
बर्तनों के ढेर से
सुन लें
उनकी जुबानी.
पूछें घर के
कोने-कोने से
कल की बातें......
हँस लें ,मुस्कुरा लें,
गा लें,
कि
आज की शाम
बड़ी उदास है
चलो,उसे दूर भगा लें.


59 comments:

  1. हां, पुरानी मीठी याद किसी नयी कड़वाहट को झट मिटा देती है...

    बहुत सुन्दर मृदुला जी....
    सादर

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  2. चलो भी.... जीने के लिए इनकी बड़ी ज़रूरत है

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  3. निदा साहब फरमाते हैं कि
    अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए,
    घर में बिखरी हुई चीज़ों को संवारा जाए!
    और आपकी कविता पढकर पता चला कि क्यों ज़रूरी है उन्हें संवारना!! बहुत आनंददायक!!

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  4. जो चीज़ें बिखरी पड़ी होती हैं, कब्बाड़ के कोने में उपेक्षित पड़ी होती हैं, बड़ी बेतरतीब ढंग से इधर उधर रखकर भुला बिसरा दी गई होती हैं, उनसे बोलें-बतियाएं तो ऐसी-ऐसी गाथाएं सुनने को मिलेंगी जो करीने रखी, सजी-सजाई चीज़ों में नहीं मिलती।

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  5. सचमुच बहुत कुछ कहती हैं ये सभी चीजें, उदासी दूर करने का सुन्दर सा साधन होती हैं...

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  6. कहाँ पलायन से मिले, समाधान मुस्कान ।

    चलो सजाएं घर तनिक, बोझिल मन उकतान ।।

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  7. चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
    अतीत की यादों को
    निकालें,
    जंग लगे बक्सों के
    तालों को
    खोल डालें,

    बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......

    my resent post


    काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.

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  8. बहुत सुंदर भाव ... यादों से अपनेपन का एहसास कराती आपकी ये पंक्तियाँ अच्छी लगी...

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  9. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
    इंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।

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  10. उदास मन को घर ही सुकून देता है ....!!
    सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

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  11. Kaash! Ye bhee udaas shaam isee tarah bhaag jaye!
    Behad sundar rachana!

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  12. बहुत बढ़िया रचना मृदुला जी...
    दुबारा लिख रही हूँ...मेरा कमेन्ट जाने कहाँ गया...

    सादर.

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  13. bahut hi khoobsoorat rachana .....saadar badhai pardhan ji.

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  14. यादो के पिटारे जब भी खुलते है कई अहसाह अपने आगोश में हमें ले लेते है...जरूरी नहीं की हर बार याद उदासी ही दे जाये .

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  15. वो शाम कुछ अजीब थी
    जब यादों के खंज़र चलते है...

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  16. बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने!

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  17. जंग लगे बक्सों के
    तालों को
    खोल डालें,
    कोई माला ,कोई मोती ,
    किसी सिक्के से
    सुनें कहानी,
    बर्तनों के ढेर से
    सुन लें
    उनकी जुबानी.
    यादों की गठरी से उदास शाम को मनभावन बनाना ....सुन्दर शब्द सुन्दर कल्पना

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  18. सुंदर भाव अभिव्यक्ति

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  19. स्मृतियों से बढ़कर और कोई दोस्त नहीं ...
    बहुत प्यारी रचना

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  20. बहुत खूब ... यादों का डर खात्खाने से बड़ा सुख नहीं ... अगर यादें हसीन हों ... बहुत लाजवाब ..

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  21. उदासी में भी यादें अच्छे पलों को बिखेर देती है..अच्छी लगी..

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  22. आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ----------------------------
    कल 13/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  23. आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ----------------------------
    कल 23/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  24. बहुत खूबसूरत एवं नितांत मौलिक रचना मृदुला जी ! मन को अंदर तक आल्हादित कर गयी ! बहुत खूब !

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  25. उदासी को दूर करने का नायाब तरीका ...सुंदर रचना

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  26. बहुत कोमल भावों से सजी सुन्दर रचना |

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  27. अतीत में सुकून तलाशती रचना ...बहुत खूब!

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  28. पास जो चीजें पडी हैं
    वे ही खुशियों की लड़ी हैं

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  29. चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
    अतीत की यादों को
    निकालें,
    जंग लगे बक्सों के
    तालों को
    खोल डालें,
    bahut umda bhaav behtreen prastuti.

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  30. बहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है
    दिनेश पारीक
    मेरी नई रचना

    कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद: एक विधवा माँ ने अपने बेटे को बहुत मुसीबतें उठाकर पाला। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। बड़ा होने पर बेटा एक लड़की को दिल दे बैठा। लाख ...

    http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl

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  31. उदासी को दूर भगाना बहुत जरूरी है.....बहुत बढ़िया!

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  32. उदासी को दूर भगाइए
    खुशियों को बटोरने में जुट जाइये..
    सुन्दर रचना
    शुभकामनाए:-)

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  33. यादो के झरोखों में बहुत कुछ छुपा होता है

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  34. अच्छी यादें हमारी उदासी को बहुत आसानी से दूर करती है. बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

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  35. चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
    अतीत की यादों को
    निकालें,
    जंग लगे बक्सों के
    तालों को
    खोल डालें,
    कोई माला ,कोई मोती ,
    किसी सिक्के से
    सुनें कहानी,
    बर्तनों के ढेर से
    सुन लें
    उनकी जुबानी.
    पूछें घर के
    कोने-कोने से
    कल की बातें......
    हँस लें ,मुस्कुरा लें,
    गा लें,
    कि
    आज की शाम
    बड़ी उदास है
    चलो,उसे दूर भगा लें.


    बहुत खूबसूरत !
    मुबारकबाद !

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  36. कोमल भावो से सजी सुन्दर रचना..

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  37. बहुत ही खुबसूरत एहसास.... जीवन को भरपूर जीने की शिक्षा देती सुंदर कविता.
    ताकत

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  38. बहुत खूब! पुरानी यादें भी कभी सहारा बन् जाती हैं...

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  39. ऐसी कोशिशें जिंदगी को जिंदादिल से जीने के लिए जरूरी हैं !

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  40. बहुत सुन्दर.

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  41. हँस लें ,मुस्कुरा लें,
    गा लें,
    कि
    आज की शाम
    बड़ी उदास है
    चलो,उसे दूर भगा लें.
    बहुत ही बढि़या।

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  42. यादें मन को कितना सुकून देती हैं।
    अच्छे शब्द, सुंदर भाव !

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  43. बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
    नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
    आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
    मेरी एक नई मेरा बचपन
    कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
    दिनेश पारीक

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  44. अतीत में प्रवेश करें
    और उसे नया बना लें

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    1. चलो.........
      चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
      अतीत की यादों को
      निकालें,
      जंग लगे बक्सों के
      तालों को
      खोल डालें,
      पुराने सामान को खंगालते हुए ऐसे ही मन अतीत की ओर पुराने सामान को खंगालते हुए ऐसे ही मन अतीत की ओर लौटता है ,वक्त रुक जाता है,वर्तमान हवा हो जाता है .

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  45. चलो, पुराने कपड़ों की तहों से
    अतीत की यादों को
    निकालें,
    जंग लगे बक्सों के
    तालों को
    खोल डालें,

    वाह सुंदर सोच. सुंदर विचार.

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  46. Chalo fir aisa hi kuchh karein.. :)
    ki mann ki girahein kholne k lie koi nahi milta, saaman se hi dil behla lein...

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  47. आज की शाम
    बड़ी उदास है
    चलो,उसे दूर भगा लें.


    जीवन का आनंद हैं ऐसे विचार ...यह फूलते रहें यही कामना है ...

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  48. हँस लें ,मुस्कुरा लें,
    गा लें,
    कि
    आज की शाम
    बड़ी उदास है
    चलो,उसे दूर भगा लें.
    अच्छी कविता..... एक सार्थक और आशावाद में ढली कविता! प्रस्तुति उम्दा हैं

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  49. हँस लें ,मुस्कुरा लें,
    गा लें,
    कि
    आज की शाम
    बड़ी उदास है
    चलो,उसे दूर भगा लें.
    aapaki is sundar rachana men mujhe apana hi gharonda nazar aaya.aisa laga hum baithe hain apanon ke hi biich.

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  50. हँस लें ,मुस्कुरा लें,
    गा लें,
    कि
    आज की शाम
    बड़ी उदास है
    चलो,उसे दूर भगा लें.
    lajavab kavita
    rachana

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  51. सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html

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  52. उदासी दूर भागने का यह तरीका अच्छा है

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  53. यादों में जादू है कैसी भी उदासी भाग जाती है ।
    बहुत ही सुंदर रचना ।

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  54. बहुत अच्छा लिखे हो, मम्मी

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