नए-नए आयाम
बनाती है,
शिखर पर झंडे
लगाती है,
यह आज की नारी है......
हर जगह
पहुँच जाती है.
सहिष्णुता के
आवरण में
ज्ञान-विज्ञान से,
अन्याय की त्रासदी को
ललकारकर,
आत्मबल के आभूषण से
सुसज्जित,
ईंट-पत्थरों के बीच
कंक्रीट सी.....
कोमलांगिनी की सशक्त
उँगलियों ने,
पकड़ ली है
समय की रफ़्तार,
तकनिकी ज्ञान के
माध्यम से,
खोलती हुई हर द्वार.
सूछ्म कन्धों पर
दायित्व का
जहाज़ लिए,
अडिग पैरों के
संतुलन
और
असीमित भुजाओं के
अनुशासन से,
श्रम का
योगदान कर
परिवार को सींचती,
स्वाभिमान के
गौरव को
सहेजती,संभालती,
यह आज की नारी है.......
इसमें
एक अलग ही
चमक है,
विकास के
हर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है.
बनाती है,
शिखर पर झंडे
लगाती है,
यह आज की नारी है......
हर जगह
पहुँच जाती है.
सहिष्णुता के
आवरण में
ज्ञान-विज्ञान से,
अन्याय की त्रासदी को
ललकारकर,
आत्मबल के आभूषण से
सुसज्जित,
ईंट-पत्थरों के बीच
कंक्रीट सी.....
कोमलांगिनी की सशक्त
उँगलियों ने,
पकड़ ली है
समय की रफ़्तार,
तकनिकी ज्ञान के
माध्यम से,
खोलती हुई हर द्वार.
सूछ्म कन्धों पर
दायित्व का
जहाज़ लिए,
अडिग पैरों के
संतुलन
और
असीमित भुजाओं के
अनुशासन से,
श्रम का
योगदान कर
परिवार को सींचती,
स्वाभिमान के
गौरव को
सहेजती,संभालती,
यह आज की नारी है.......
इसमें
एक अलग ही
चमक है,
विकास के
हर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है.
बहुत सुन्दर मृदुला जी............
ReplyDeleteसच है आज की नारी सशक्त है...सफल है.....सबला है.....
मगर कहीं ना कहीं आज भी अपने अस्तित्व को तलाशती है....
सादर.
नारी में ईश्वर ने ही अनेक शक्तियाँ भर दी है...आज की नारी उन शक्तियों का बखूबी प्रयोग कर के...समाज को विकास की और ले जा रही है!...सुन्दर रचना..आभार!
ReplyDeleteविकास के
ReplyDeleteहर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है.
बिल्कुल सही कहा मृदुला जी……सुन्दर अभिव्यक्ति
Sach hai!
ReplyDeleteअपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं बधाई।
ReplyDeleteअच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
नारी तो अपने आप में एक पूरा ग्रन्थ है .....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनारी की महिमा अपरंपार है।
ReplyDeleteबिलकुल सच कहा है...बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसचमुच आज की नारी का सही चित्रण किया है आपने !
ReplyDeleteआभार!
बढ़िया रचना,बहुत सुंदर भाव प्रस्तुति,बेहतरीन पोस्ट मृदुला जी ,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
MY RECENT POST...फुहार....: दो क्षणिकाऐ,...
नारी पूज्य ही है और शक्ति भी है .. आज नारी आत्मनिर्भर भी है ... अच्छी रचना ...
ReplyDeleteऔर खनक की बढ़ती धमक भी है ..
ReplyDeleteपर आज की नारी भी मुक्त नहीं , मुक्त होने की कोशिशों में है .... हर ओहदे पे , चूड़ियों की खनक भी .... पर आलोचना जारी है
ReplyDeleteVikas ke har aagan me ab chudiyon ki khanak hai ... behtareen rachna ke liye dhero badhai ....
ReplyDeleteएक लंबे अंतराल के बाद आपके पोस्ट पर आना हुआ। कविता बहुत अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteनारी शक्ति को सलाम!!इस बार अंतराल कुछ विशेष लंबा रहा!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteविकास के
ReplyDeleteहर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है. bahut sunder!!! :-)
नारी की सशक्त प्रस्तुती......
ReplyDeleteविकास के
ReplyDeleteहर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है.
विकास का मार्ग तो सदा सर्वदा से नारियों की प्रतिभाओं से भरा पड़ा है ...
bahut khoob..shashakt rachna
ReplyDeleteबहुत गौरवशाली रचना|
ReplyDeleteआज की नारी की हर सफलता और भूमिका का सुन्दर चित्रण. परन्तु ये आज का ही सच है कि ये सभी सफलताएं महज़ अपवाद है. आम नारी आज भी त्रासद जीवन जी रही है. आत्मविश्वास जगाती रचना के लिए बधाई मृदुला जी.
ReplyDeleteयह आज की नारी है.......
ReplyDeleteइसमें
एक अलग ही
चमक है,
विकास के
हर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है.
वाह, ये आपकी सच बयानी । सुंदर कविता ।
पर जहाज कंधों पर (?) जमा नही ।
भार कैसा रहेगा ?
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना, नारी की बदलती भूमिकाआओं का स्वागत करती है आपकी रचना। बधाई!
ReplyDeletevery nice,
ReplyDeleteविकास के
ReplyDeleteहर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है।
वास्तविकता को आपने सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया है।
नारी की गरिमा को सशक्त रूप से व्क्त किया है आपने ।प्रशंसनीय
ReplyDeleteविकास के
ReplyDeleteहर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है।
वाह ...बहुत ही अनुपम भाव संयोजन ।
bahut khoobsurat :)
ReplyDeletepar aaj bhi kahin na kahin....yeh kai tayaag kar dusron ki khushi ban jaati hai...
kya koi inki khushi nahi ban sakta ?
इसमें
ReplyDeleteएक अलग ही
चमक है,
विकास के
हर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है.
bahut khoob
rachana
विकास के
ReplyDeleteहर आँगन में,
अब
चूड़ियों की खनक है।...बहुत ही सुन्दर कृति.एक.सशक्त प्रस्तुति...