ये कैसी है मुहब्बत,है नहीं
जिसका गुमां मुझको,
इबादत से भी पहले
वो, इबादत जान लेते हैं.
यहाँ ख़्वाबों की लज्ज़त में
उन्हीं का अक्स है शामिल,
वहाँ दूरी के दामन से वो
ख़ुद को बाँध लेते हैं.
मेरी बेमानियाँ बातें
मेरी पेशानियों के बल,वो
मेरी तल्खियों तक के भी
आकर हाल लेते हैं.
हुई मुद्दत कि निस्बत है
निगहबानी उन्हीं की,
हुनर उनमें इशारों को भी
इतना मान देते हैं.
आबशारों की सदा- ए- गश्त में
कतरा-ए-शबनम पे छा जाये जुनूँ
इश्के-सादिक वो मुझे नायाब देते हैं
मैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं.
वाह मृदुला जी............
ReplyDeleteमेरी बेमानियाँ बातें
मेरी पेशानियों के बल,वो
मेरी तल्खियों तक के भी
आकर हाल लेते हैं.
बहुत खूब
सुंदर गज़ल .....
अनु
वाह .... बहुत खूबसूरत
ReplyDeleteचल भी नहीं पाता की वो थाम लेते हैं ... गजब की अभिव्यक्ति
इश्के-सादिक वो मुझे नायाब देते हैं
ReplyDeleteमैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं.
बहुत सुंदर जज़्बात .
गज़ब अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआबशारों की सदा- ए- गश्त में
ReplyDeleteकतरा-ए-शबनम पे छा जाये जुनूँ
इश्के-सादिक वो मुझे नायाब देते हैं
मैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं.
वाह !!!! बहुत बढ़िया गजब की प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
कमाल के शेर हैं सब ... बहुत नायाब अंदाज़ आपका हमेशा दिल में उतरता है ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार ||
शुभकामनाये ||
अनूठे शब्द और अद्भुत भाव से सजी इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
आबशारों की सदा- ए- गश्त में
ReplyDeleteकतरा-ए-शबनम पे छा जाये जुनूँ
इश्के-सादिक वो मुझे नायाब देते हैं
मैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं. waah
ख़ूबसूरत रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
Deleteकृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की १५० वीं पोस्ट पर पधारें और अब तक मेरी काव्य यात्रा पर अपनी राय दें, आभारी होऊंगा .
वाह ...बहुत खूब।
ReplyDeleteइश्के-सादिक वो मुझे नायाब देते हैं
ReplyDeleteमैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं.
शानदार, लाजवाब.. बहुत खूबसूरत जज्बात....
मैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं.
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति,
मेरी बेमानियाँ बातें
ReplyDeleteमेरी पेशानियों के बल,वो
मेरी तल्खियों तक के भी
आकर हाल लेते हैं.
बहुत सुंदर गजल..सभी शेर काबिलेतारीफ हैं...
बहुत सुन्दर गज़ल ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल
ReplyDeleteयहाँ ख़्वाबों की लज्ज़त में
ReplyDeleteउन्हीं का अक्स है शामिल,
वहाँ दूरी के दामन से वो
ख़ुद को बाँध लेते हैं.
बहुत सुन्दर रचना ... वाकई सभी शेर लाजवाब हैं...
हुई मुद्दत कि निस्बत है
ReplyDeleteनिगहबानी उन्हीं की,
हुनर उनमें इशारों को भी
इतना मान देते हैं.
वाह.....खूबसूरत...!
वाकई ! ख़ूबसूरत शेर ..
ReplyDeleteयहाँ ख़्वाबों की लज्ज़त में
ReplyDeleteउन्हीं का अक्स है शामिल,
वहाँ दूरी के दामन से वो
ख़ुद को बाँध लेते हैं.
..बहुत लाजवाब गज़ल ... ...
ये कैसी है मुहब्बत,है नहीं
ReplyDeleteजिसका गुमां मुझको,
इबादत से भी पहले
वो, इबादत जान लेते हैं.
....लाज़वाब प्रस्तुति...
Bahut hi Sundar prastuti. Mere post par aapka intazar rahega. Dhanyavad.
ReplyDeleteइश्के-सादिक वो मुझे नायाब देते हैं
ReplyDeleteमैं चल नहीं पाता कि वो थाम लेते हैं.
वाह! बहुत खूबसूरत... Enjoyed reading it :-)
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