अन्ना जी के मस्तक पर
अभिषेक
उषा की लाली से,
कुंदहार, नीलाभ वसन
शोभित ललाट,
उजियाली से.
मलय-गिरी के
सुमल अनिल से ,
दसों दिशाओं के
जल-थल से,
दुग्ध-धवल पर्वत शिखरों
से ,
मंदिर से, मस्ज़िद,
गिरिजों से.
दूर छितिज के
आकर्षण से,
गुरुद्वारे के ऊँचे
ध्वज से,
शंखनाद
ध्वनि के गुंजन से,
झरनों के अति
मीठे जल से.
नव अंकुर के
कोमल दल से,
नव प्रकाश की
मृदु आहट से ,
कोने-कोने के
कलरव से,
कलियों-कलियों के
सौरभ से.
अन्ना जी के मस्तक पर
अभिषेक
ओस की डाली से,
सागर के
अमृत कलशों से,
नए धन की
बाली से..........
अभिषेक अभी
ReplyDeleteअधूरा है
अभी बहुत चलना है
अन्ना का साथ
निभाना है
सुन्दर प्रस्तुति
ओह! अनुपम,अदभुत और मनोहारी है यह अभिषेक.
ReplyDeleteआपका एक एक शब्द हृदय में पवित्रता का
संचार करता है.
आपकी इस पावन अभिव्यक्ति को मेरा सादर नमन.
मेरे ब्लॉग पर आकर आपने मुझे अनुग्रहित किया.
बहुत बहुत आभार आपका.
एक बार फिर से आपको विनम्र आमंत्रण है,
आकर अपने सुविचारों से भक्ति और शिवलिंग
पर प्रकाश डालकर अनुग्रहित कीजियेगा मुझे.
सुन्दर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteअनुपम,अदभुत और मनोहारी अभिषेक,बहुत आभार
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर अभिषेक किया है।
ReplyDeleteAnna ji ka bahut sundar abhishek kiya hai aapne.
ReplyDeleteअन्ना ने कमाल कर दिया..... सोये हुए भारतियों को एक बार फिर जगा दिया.
ReplyDeletebahut sundar...jai hind
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर अभिषेक किया है।
ReplyDeleteअभिषेक
ReplyDeleteओस की डाली से,
बहुत सुंदर प्रयोग!
इतनी कोमलता से आपने बिम्बों को सजाया है कि लगता है ओस की बूंदे झर रही हों।
बहुत सुंदर भाव भरा अभिषेक है यह उस महान कृत्य के लिए जिसे दुनिया याद रखेगी... आभार !
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteश्रद्धावनत हूँ उस युगपुरुष के आगे!! आपकी यह रचना अन्ना का चित्र खींचती हुई प्रतीत होती है!!
ReplyDeleteप्रेरक रचना के लिए बधाई।
ReplyDeletebahut achchi rachna hum sabhi is mahapurush ke aage natmastak hain.
ReplyDeleteमनमोहक कविता।
ReplyDeleteजैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
ReplyDeleteदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
सुन्दर अभिषेक किया है।....
ReplyDeleteकितना सुंदर अभिषेक किया है प्रकृति नें खुश होकर । अण्णा जी का अनशन सफल हो सुफल हो ।
ReplyDeletesundar lekhan.
ReplyDeleteबेहतरीन.....अन्ना जिन्दाबाद!!!!
ReplyDeleteमोहक शब्द संयोजन ... सुन्दर रचना ... अन्ना जी की जय हो ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति .... अभी कुछ काम बाकी हैं ...
ReplyDeletesundartam...
ReplyDeleteअन्ना जी के मस्तक पर
ReplyDeleteअभिषेक
ओस की डाली से,
सागर के
अमृत कलशों से,
नए धन की
बाली से..........tahedil se , shraddha se