नरम मखमली बिस्तर के
कोनों पर
रखकर पाँव,
दूसरे कोने पर
दो तकिया रख......
पेटों के बल
अधलेटी सी,
दायें हाथों की ऊँगली में
है ,फंसी कलम
बांयी को कुहनी से
मोड़े
बाँधी मुठ्ठी,रख दी है अपने
गालों पर.
आँखों को करके बंद
ज़रा
कुछ सोच-समझ ,कुछ
शब्द नए, कुछ
भाव नए,
आ गए लगा.....
आगे की बात कहूं
अब क्या
आ गयी नींद ......
जब खुली आँख देखा
'कॉपी' पर
लिखी हुई .......आराम करो .
कोनों पर
रखकर पाँव,
दूसरे कोने पर
दो तकिया रख......
पेटों के बल
अधलेटी सी,
दायें हाथों की ऊँगली में
है ,फंसी कलम
बांयी को कुहनी से
मोड़े
बाँधी मुठ्ठी,रख दी है अपने
गालों पर.
आँखों को करके बंद
ज़रा
कुछ सोच-समझ ,कुछ
शब्द नए, कुछ
भाव नए,
आ गए लगा.....
आगे की बात कहूं
अब क्या
आ गयी नींद ......
जब खुली आँख देखा
'कॉपी' पर
लिखी हुई .......आराम करो .
वाह ...बहुत बढि़या।
ReplyDeleteAchhi rachna,achhi bhaawabhivyakti !
ReplyDeleteso kar uthaa
ReplyDeletelaptop kholaa
kavitaa ko padhaa
phir se so gayaa
सजीव कर दिया चित्र लेखनी ने...!
ReplyDeleteबढिया अन्दाज़ है।
ReplyDeleteAankhon ke aage ek tasveer ban gayee!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कविता... नर्म कोमल...
ReplyDeleteबिम्ब यथार्त से मिलकर सुखद भाव पैदा कर गया। वाह!
ReplyDeleteऔर यह कहने को मन कर उठा:
किस किस को याद कीजिये किस किस को रोईये,
आराम बडी चीज़ है मूँह ढक के सोईये!
बहुत ही प्यारी सलाह...
ReplyDeleteवाह...बहुत अच्छी रचना...आराम से बेहतर और क्या है?
ReplyDeleteनीरज
वाह!! ये भी अनोखा अंदाज़ है आपकी कविता का!! पसंद आया!!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी..... पढ़ते-पढ़ते ही चित्र बन गया.....
ReplyDeleteक्या बात है...
ReplyDeleteइस कविता के फ़ुरसत के पल हमें भी उस पल की अहसास करा गए।
ReplyDeletewaah! behad umda....
ReplyDelete:):) ...कितने सुकूं से बिताया ये आराम का पल ..
ReplyDeleteशब्दों से बहुत अच्छा चित्र खींचा है ...
ReplyDeleteक्या ठाठ हैं !
ReplyDeletewah...bistar, kalam aur kavita mano rishtedaar se hain
ReplyDeletehahaha:-)
www.poeticprakash.com
आराम में ही राम छिपा है...
ReplyDeleteशब्द नए, कुछ
ReplyDeleteभाव नए,
आ गए लगा.....
आगे की बात कहूं
और इसे जारी रखें आगे भी
लेकिन आराम के साथ....!!
कविता कि अंतिम पंक्ति चौंका ही गयी. बहुत badhiya..
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...आराम से बेहतर और क्या है?
ReplyDeletevah kya chitran kiya hai.
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteअच्छी रचना.
ReplyDeleteअति सुन्दर अभिव्यक्ति, मानव मन
ReplyDeleteके धरातल पर लिखी हुई कविता.
अच्छा एवं सफल प्रयास.
धन्यवाद.
आनन्द विश्वास.
chitrmay kavita aur ant mein haasya ka tadka.........umda..
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