Thursday, November 17, 2011

निश्छलता की 'आँच' पर......

जब नीम के पेड़ पर
चढ़कर
मधु-मक्खी  
छत्ता लगाती है,
शहद  की ताशीर
दुगनी
हो जाती है.
जब रिश्तों की
धूल-धुसड़ित
रेशमी डोर
निश्छलता की 'आँच' पर
चढ़  जाती है
यक़ीनन
निखर जाती है.......

27 comments:

  1. वाह ...बहुत खूब ।

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  2. कम शब्दों में बहुत कुछ कहती सुन्दर भावपूर्ण रचना..
    मेरी नई पोस्ट के लिये पधारे आपका हार्दिक स्वागत है !

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  3. निश्छलता सदा चमत्कृत करती है!

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  4. waah ..lop hoti nischalta ke sapne hi theek hain.badhai

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  5. इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  6. रिश्ते, रेशमी डोर, नीम, शहद और इन सबसे ऊपर आँच... सन्दर्भ न देते हुए भी आपने जितनी गहराई से अपनी बात कही है वह प्रशंसनीय है!!

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  7. जब रिश्तों की
    धूल-धुसड़ित
    रेशमी डोर
    निश्छलता की 'आँच' पर
    चढ़ जाती है
    यक़ीनन
    निखर जाती है.......
    Kya baat kahee hai aapne!

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  8. rishton kee pavitrtaa par
    khoobsoorat bayaan

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  9. bahut khoob..sahi hai aag me tap kar hi sona aakar leta hai.

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  10. बहुत सुंदर भावाव्यक्ति शब्द संयोजन कमाल का बधाई

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  11. bahut sundar....

    www.poeticprakash.com

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  12. बहुत ही बढ़िया.....

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  13. बहुत सुंदर बिम्ब प्रयोग और रिश्तों का निखरना..सुंदर कविता !

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  14. सच कहा है निश्छल रिश्ते अलग ही होते हैं ... सुन्दर रचना है ....

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  15. वाह …………थोडे मे गहरी बात कह दी।

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  16. जब रिश्तों की
    धूल-धुसड़ित
    रेशमी डोर
    निश्छलता की 'आँच' पर
    चढ़ जाती है
    यक़ीनन
    निखर जाती है.......

    khoobsoorat.....!

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  17. अच्छी पोस्ट आभार ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।

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  18. मृदुला जी..बहुत खूब ...चंद शब्द और गहरी बात ..

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  19. गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com

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  20. कल 23/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, चलेंगे नहीं तो पहुचेंगे कैसे ....?
    धन्यवाद!

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  21. ढूंढ रही हूँ आज तलक...निश्छलता

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  22. वाह! बहुत गहरी बात... यकीनन सत्य
    सादर बधाई...

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  23. बहुत बहुत सुन्दर...
    मृदुला जी आपका बहुत आभार...
    मेरे ब्लॉग में पधारने और मेरी कविता पसंद करने के लिए आपका शुक्रिया....
    आप जैसे गुणीजनों का स्नेह मिलता रहे ये ये अनुरोध है मेरा ईश्वर से...

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