सात घोड़ों ने कसी 'जीनें'
कि
किरणें कसमसायीं,
झील में जैसे किसी ने
घोल दी,
जी भर ललाई.
पिघलती
सोने कि नदियों
पर,पड़ी आभा गुलाबी,
फालसई चश्में में ज्यों
केशर मिला दी.
इन्द्रधनुषी रंग में
चमकी
चपल-चंचल किरण,
एक चक्का लाल सा
हौले से
ऊपर को उठा,
कहते हैं......
'सूर्योदय' हुआ.
बहुत सुन्दर शब्द चित्र...
ReplyDeleteवाह................
ReplyDeleteअति सुन्दर.......
एक नए शुभ दिन का आरंभ हुआ ...
ReplyDeletewaah accha varnan....
ReplyDeleteउगते सूरज को प्रणाम...खूबसूरत परिदृश्य खींचा है आपने...
ReplyDeleteadhbhut chitran
ReplyDeleteबेहतरीन सुंदर रचना,,,,, ,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
सुन्दर !
ReplyDeleteसुन्दर.....भोर की एक नई शुरुवात..
ReplyDeleteवाह......
ReplyDeleteसुप्रभात.....!!
मलाई सी सुबह .... बहुत कुछ करने का संदेशा लायी
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत... वाकई एक सुंदर तस्वीर सा
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति....मार्मिक अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteवाह ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर विवरण सूर्योदय का सुंदर कविता के माध्यम से. अद्भुत.
ReplyDeleteएक चक्का लाल सा हौले से ऊपर को उठा,
ReplyDeleteकहते हैं सूर्योदय हुआ ।
बहुत सुंदर वर्णन सूर्योदय का ।
बड़ा प्यारा शब्द चित्र ...
ReplyDeleteवाह! सूर्योदय और सूर्यास्त दोनो को सुंदर शब्दांजलि।
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