कुछ साल पहले की बात है........
बगल के मैदान में
सुबह से ही
गहमा-गहमी थी,
टेंट लग रहा था
दरियां बिछ रही थीं
कु्र्सियां
सज रही थीं ।
रह-रहकर
हेलो, हेलो, टेस्टिंग ....
माईक जांचा जा रहा था ।
पता चला
आनेवाले हैं
दूरसंचार के
विशिष्ट अधिकारी,
सोची, घर में
खाली ही बैठी हूँ,
चलूँ, कुछ
मैं भी देख लूँ,
कुछ मैं भी सुन लूँ ,
ठीक समय पर
अतिथि आये,
गणमान्य लोगों ने,
माले पहनाये,
कार्य-क्रम शुरू हुआ
कुछ धन्यवाद,
कुछ, अभिवादन हुआ,
अधिकारी ने
अपने भाषण में
कई मुद्दे उठाये,
तरक्की के
अनेकों नुस्खे बताये,
कहा, फाल्ट रेट
घटाइये,
विनम्रता से पेश आइये,
वन विंडो कानसेप्ट
अपनाइये और,
कस्टमर की सारी उलझने
एक ही खिड़की पर
सुलझाइये ।
तालियां बजी
प्रशंसा हुई
और दूसरे ही दिन,
अक्षरशः
पालन किया गया,
एक खिड़की छोड़कर
ताला भर दिया गया ।
हर मर्ज्ञ के लिये लोग
एक ही जगह
आने लगे,
सुबह से शाम तक
क्यू में बिताने लगे,
कुछ
उत्साही किस्म के लोग
खाने का डब्बा भी
साथ लाते थे,
आस-पास बैठकर
पिकनिक मनाते थे ।
मुझे भी
एक शिकायत
लिखवानी थी,
पहुँच गई 10 से पहले
लेकिन
तीन लोग
पहुँच चुके थे
मुझसे भी पहले ।
खिड़की खुली, दिखा
एक विनम्र चेहरा
याद आ गई,
विनम्रता से पेश आइये ।
मैं परसों भी आया था
लाईन में खड़े
पहले व्यक्ति ने कहा,
फोन खराब है मेरा
चार दिनों से…….
जवाब आया तत्काल,
चिन्ता न करे,
काम हो रहा है,
आप क्यू में हैं .
अब, दूसरे की बारी थी,
भाई साहब, मेरे फोन पर
काल आता हैं,
जाता नहीं
क्या हुआ कुछ
पता ही नहीं ,
आप जरा दिखवा दीजिये,
प्लीज्ञ, ठीक करा दीजिये,
ठीक है,
आप घर चलिये
मैं दिखवाता हूँ,
आप तसल्ली रखिये
कुछ करवाता हूँ ,
वैसे भी आपके फोन तो
आ ही रहे हैं
रही बात, करने की
सो
आपके सुविधा के लिये ही तो
हमने
जगह-जगह
टेलीफोन बूथ
खुलवाये हैं,
आप उपभोक्ता हैं
आपके साथ
हमारी
शुभकामनायें हैं.
तीसरा आदमी
आगे बढ़ा,
देखिये, हमारे फोन का
बिल बहुत ज्यादा है
हमने जब
किया ही नहीं
फिर
ये कौन सा कायदा है,
देखिये जनाब,
आपके मीटर पर
यही रीडींग आई है,
अब मीटर आदमी तो है नहीं
कि
कोई सुनवाई है ,
बिल भर दीजिये
बाद में देख लेंगे,
कुछ नहीं, हुआ तो
डिसकनेक्ट कर देंगे ,
हाँ बहन जी- अब आप बोलिये,
आपको क्या तकलीफ है
मैंने कहा,
मेरी समस्या
कुछ अलग किस्म की है,
टेलीफोन की घंटी
समय-असमय, घनघनाती है
रिसीवर उठाने पर,
प्लीज्ञ चेक द नंबर,
“यू हैव डायल्ड”
बार-बार, दोहराती है,
अब आप ही बताइये,
यह कौन सी सेवा
हमें उपलब्ध कराई है,
कि डायल किये बगैर
ऐसी सूचना, आई है ,
भई,
आपकी समस्या तो
मेरी समझ से
बाहर है ,
इसकी तो, मैं कहता हूँ
जड़ से पता लगाइये,
ऐसा कीजिये,
आप
संचार भवन जाइये,
वहाँ हर कमरा
वातानुकूलित है,
सारी खिड़कियाँ मिलेंगी बंद
लेकिन
वहीं करनी होगी
आपको जंग,
किसी एक खिड़की को
खुलवाइयेगा
और
अपना कम्प्लेन
वहीं दर्ज कराइयेगा ।
बगल के मैदान में
सुबह से ही
गहमा-गहमी थी,
टेंट लग रहा था
दरियां बिछ रही थीं
कु्र्सियां
सज रही थीं ।
रह-रहकर
हेलो, हेलो, टेस्टिंग ....
माईक जांचा जा रहा था ।
पता चला
आनेवाले हैं
दूरसंचार के
विशिष्ट अधिकारी,
सोची, घर में
खाली ही बैठी हूँ,
चलूँ, कुछ
मैं भी देख लूँ,
कुछ मैं भी सुन लूँ ,
ठीक समय पर
अतिथि आये,
गणमान्य लोगों ने,
माले पहनाये,
कार्य-क्रम शुरू हुआ
कुछ धन्यवाद,
कुछ, अभिवादन हुआ,
अधिकारी ने
अपने भाषण में
कई मुद्दे उठाये,
तरक्की के
अनेकों नुस्खे बताये,
कहा, फाल्ट रेट
घटाइये,
विनम्रता से पेश आइये,
वन विंडो कानसेप्ट
अपनाइये और,
कस्टमर की सारी उलझने
एक ही खिड़की पर
सुलझाइये ।
तालियां बजी
प्रशंसा हुई
और दूसरे ही दिन,
अक्षरशः
पालन किया गया,
एक खिड़की छोड़कर
ताला भर दिया गया ।
हर मर्ज्ञ के लिये लोग
एक ही जगह
आने लगे,
सुबह से शाम तक
क्यू में बिताने लगे,
कुछ
उत्साही किस्म के लोग
खाने का डब्बा भी
साथ लाते थे,
आस-पास बैठकर
पिकनिक मनाते थे ।
मुझे भी
एक शिकायत
लिखवानी थी,
पहुँच गई 10 से पहले
लेकिन
तीन लोग
पहुँच चुके थे
मुझसे भी पहले ।
खिड़की खुली, दिखा
एक विनम्र चेहरा
याद आ गई,
विनम्रता से पेश आइये ।
मैं परसों भी आया था
लाईन में खड़े
पहले व्यक्ति ने कहा,
फोन खराब है मेरा
चार दिनों से…….
जवाब आया तत्काल,
चिन्ता न करे,
काम हो रहा है,
आप क्यू में हैं .
अब, दूसरे की बारी थी,
भाई साहब, मेरे फोन पर
काल आता हैं,
जाता नहीं
क्या हुआ कुछ
पता ही नहीं ,
आप जरा दिखवा दीजिये,
प्लीज्ञ, ठीक करा दीजिये,
ठीक है,
आप घर चलिये
मैं दिखवाता हूँ,
आप तसल्ली रखिये
कुछ करवाता हूँ ,
वैसे भी आपके फोन तो
आ ही रहे हैं
रही बात, करने की
सो
आपके सुविधा के लिये ही तो
हमने
जगह-जगह
टेलीफोन बूथ
खुलवाये हैं,
आप उपभोक्ता हैं
आपके साथ
हमारी
शुभकामनायें हैं.
तीसरा आदमी
आगे बढ़ा,
देखिये, हमारे फोन का
बिल बहुत ज्यादा है
हमने जब
किया ही नहीं
फिर
ये कौन सा कायदा है,
देखिये जनाब,
आपके मीटर पर
यही रीडींग आई है,
अब मीटर आदमी तो है नहीं
कि
कोई सुनवाई है ,
बिल भर दीजिये
बाद में देख लेंगे,
कुछ नहीं, हुआ तो
डिसकनेक्ट कर देंगे ,
हाँ बहन जी- अब आप बोलिये,
आपको क्या तकलीफ है
मैंने कहा,
मेरी समस्या
कुछ अलग किस्म की है,
टेलीफोन की घंटी
समय-असमय, घनघनाती है
रिसीवर उठाने पर,
प्लीज्ञ चेक द नंबर,
“यू हैव डायल्ड”
बार-बार, दोहराती है,
अब आप ही बताइये,
यह कौन सी सेवा
हमें उपलब्ध कराई है,
कि डायल किये बगैर
ऐसी सूचना, आई है ,
भई,
आपकी समस्या तो
मेरी समझ से
बाहर है ,
इसकी तो, मैं कहता हूँ
जड़ से पता लगाइये,
ऐसा कीजिये,
आप
संचार भवन जाइये,
वहाँ हर कमरा
वातानुकूलित है,
सारी खिड़कियाँ मिलेंगी बंद
लेकिन
वहीं करनी होगी
आपको जंग,
किसी एक खिड़की को
खुलवाइयेगा
और
अपना कम्प्लेन
वहीं दर्ज कराइयेगा ।
यही हाल है....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपने दुरुस्त फरमाया,,,यही हाल है,,,,
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,,
RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
हाल बहुत बुरा है ..कुछ कर भी तो नही सकते..
ReplyDelete:):) बढ़िया व्यंग्य
ReplyDeleteसच कह दिया
ReplyDeleteजय हो खिडकी खुलवाने की जंग ही तो ससुरी सबसे बडी जंग होती है , हलक में हाथ घुसेड के खुलवानी पडती है । बहुत बढिया
ReplyDeleteबहुत खूब ... आपकी समस्या का समाधान भी मिल ही गया. मुबारक हो
ReplyDeleteबहुत खूब ...!!
ReplyDeleteसिंगल विन्डो पर बहुत ही अच्छा व्यंग्य है।
ReplyDeleteहाहाहा ... अच्छी व्यंग्यात्मक रचना हास्य पुट लिए
ReplyDeleteसच्चाई दिखाती सुन्दर हास्य रचना... आभार
ReplyDeleteवाह ... बहुत बढिया ।
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ReplyDeleteआपकी वर्णनात्मक पोस्ट बहुत सार्थक है!
ReplyDeleteBEAUTIFUL POST ON BURNING PROBLEM.
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 28 -06-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... चलो न - भटकें लफंगे कूचों में , लुच्ची गलियों के चौक देखें.. .
सुन्दर अभिव्यक्ति ......पहले व्यक्ति ने कहा,
ReplyDeleteफोन खराब है मेरा
चार दिनों से…….
जवाब आया तत्काल,
चिन्ता न करे,
काम हो रहा है,
वाह बहुत खूब..हाल यही है बिल्कुल
ReplyDeleteबेहाली लिए हुए....
:))
ReplyDeleteबहुत खूब ..बधाई !
बहुत ही भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी रचना !
ReplyDeletehaal bura hai wakai
ReplyDeleteएक खिडकी सारे काम पर बहुत अच्छा व्यंग .
ReplyDelete