Tuesday, June 26, 2012

बगल के मैदान में........

कुछ  साल  पहले  की बात  है........


बगल के मैदान में
सुबह से ही
गहमा-गहमी थी,
टेंट लग रहा था
दरियां बिछ रही थीं
कु्र्सियां
सज रही थीं ।
रह-रहकर
हेलो, हेलो, टेस्टिंग ....
माईक जांचा जा रहा था ।
पता चला
आनेवाले हैं
दूरसंचार के
विशिष्ट अधिकारी,
सोची, घर में
खाली ही बैठी हूँ,
चलूँ, कुछ
मैं भी देख लूँ,
कुछ मैं भी सुन लूँ ,
ठीक समय पर
अतिथि आये,
गणमान्य लोगों ने,
माले पहनाये,
कार्य-क्रम शुरू हुआ
कुछ धन्यवाद,
कुछ, अभिवादन हुआ,
अधिकारी ने
अपने भाषण में
कई मुद्दे उठाये,
तरक्की के
अनेकों नुस्खे बताये,
कहा, फाल्ट रेट
घटाइये,
विनम्रता से पेश आइये,
वन विंडो कानसेप्ट
अपनाइये और,
कस्टमर की सारी उलझने
एक ही खिड़की पर
सुलझाइये ।
तालियां बजी
प्रशंसा हुई
और दूसरे ही दिन,
अक्षरशः
पालन किया गया,
एक खिड़की छोड़कर
ताला भर दिया गया ।
हर मर्ज्ञ के लिये लोग
एक ही जगह
आने लगे,
सुबह से शाम तक
क्यू में बिताने लगे,
कुछ
उत्साही किस्म के लोग
खाने का डब्बा भी
साथ लाते थे,
आस-पास बैठकर
पिकनिक मनाते थे ।
मुझे भी
एक शिकायत
लिखवानी थी,
पहुँच गई 10 से पहले
लेकिन
तीन लोग
पहुँच चुके थे
मुझसे भी पहले ।
खिड़की खुली, दिखा
एक विनम्र चेहरा
याद आ गई,
विनम्रता से पेश आइये ।
मैं परसों भी आया था
लाईन में खड़े
पहले व्यक्ति ने कहा,
फोन खराब है मेरा
चार दिनों से…….
जवाब आया तत्काल,
चिन्ता न करे,
काम हो रहा है,
आप क्यू में हैं .
अब, दूसरे की बारी थी,
भाई साहब, मेरे फोन पर
काल आता हैं,
जाता नहीं
क्या हुआ कुछ
पता ही नहीं ,
आप जरा दिखवा दीजिये,
प्लीज्ञ, ठीक करा दीजिये,
ठीक है,
आप घर चलिये
मैं दिखवाता हूँ,
आप तसल्ली रखिये
कुछ करवाता हूँ ,
वैसे भी आपके फोन तो
आ ही रहे हैं
रही बात, करने की
सो
आपके सुविधा के लिये ही तो
हमने
जगह-जगह
टेलीफोन बूथ
खुलवाये हैं,
आप उपभोक्ता हैं
आपके साथ
हमारी
शुभकामनायें हैं.
तीसरा आदमी
आगे बढ़ा,
देखिये, हमारे फोन का
बिल बहुत ज्यादा है
हमने जब
किया ही नहीं
फिर
ये कौन सा कायदा है,
देखिये जनाब,
आपके मीटर पर
यही रीडींग आई है,
अब मीटर आदमी तो है नहीं
कि
कोई सुनवाई है ,
बिल भर दीजिये
बाद में देख लेंगे,
कुछ नहीं, हुआ तो
डिसकनेक्ट कर देंगे ,
हाँ बहन जी- अब आप बोलिये,
आपको क्या तकलीफ है
मैंने कहा,
मेरी समस्या
कुछ अलग किस्म की है,
टेलीफोन की घंटी
समय-असमय, घनघनाती है
रिसीवर उठाने पर,
प्लीज्ञ चेक द नंबर,
“यू हैव डायल्ड”
बार-बार, दोहराती है,
अब आप ही बताइये,
यह कौन सी सेवा
हमें उपलब्ध कराई है,
कि डायल किये बगैर
ऐसी सूचना, आई है ,
भई,
आपकी समस्या तो
मेरी समझ से
बाहर है ,
इसकी तो, मैं कहता हूँ
जड़ से पता लगाइये,
ऐसा कीजिये,
आप
संचार भवन जाइये,
वहाँ हर कमरा
वातानुकूलित है,
सारी खिड़कियाँ मिलेंगी बंद
लेकिन
वहीं करनी होगी
आपको जंग,
किसी एक खिड़की को
खुलवाइयेगा
और
अपना कम्प्लेन
वहीं दर्ज कराइयेगा ।

22 comments:

  1. यही हाल है....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. आपने दुरुस्त फरमाया,,,यही हाल है,,,,

    बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,,

    RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,

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  3. हाल बहुत बुरा है ..कुछ कर भी तो नही सकते..

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  4. जय हो खिडकी खुलवाने की जंग ही तो ससुरी सबसे बडी जंग होती है , हलक में हाथ घुसेड के खुलवानी पडती है । बहुत बढिया

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  5. बहुत खूब ... आपकी समस्या का समाधान भी मिल ही गया. मुबारक हो

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  6. सिंगल विन्‍डो पर बहुत ही अच्‍छा व्‍यंग्‍य है।

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  7. हाहाहा ... अच्छी व्यंग्यात्मक रचना हास्य पुट लिए

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  8. सच्चाई दिखाती सुन्दर हास्य रचना... आभार

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  9. वाह ... बहुत बढिया ।

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  10. बहुत ही गहरे भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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  11. आपकी वर्णनात्मक पोस्ट बहुत सार्थक है!

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  12. BEAUTIFUL POST ON BURNING PROBLEM.

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  13. सुन्दर अभिव्यक्ति ......पहले व्यक्ति ने कहा,
    फोन खराब है मेरा
    चार दिनों से…….
    जवाब आया तत्काल,
    चिन्ता न करे,
    काम हो रहा है,

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  14. वाह बहुत खूब..हाल यही है बिल्कुल
    बेहाली लिए हुए....

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  15. :))
    बहुत खूब ..बधाई !

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  16. बहुत ही भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी रचना !

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  17. एक खिडकी सारे काम पर बहुत अच्छा व्यंग .

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