तुम हँसो.....
कि चाँद मुस्कुराये,
तुम हँसो.....
कि आसमान गाये.
खुशबुयें फूल से उड़के
कलियों पे आये,
पत्तों पे
शबनम की बूँदें
नहाये,
कलियों के दामन में
जुगनू
चमक लें,
नज़्मों की चौखट पे
लम्हे ठहर लें,
खिड़की से आ चाँदनी
जगमगाए.....
तुम हँसो......
कि चाँद मुस्कुराये.
हवाओं की कश्ती में
तारे समाये,
दीवारों पे
लतरें
चढ़ी गुनगुनाये,
रातों की पलकों में
सपने
दमक लें,
लहरें किनारों को
छूकर
चहक लें,
लताओं की पायल
मधुर
झंझनाये......
तुम हँसो.......
कि चाँद मुस्कुराये......
तुम हँसो......
कि आसमान गाये......
हाँ.....बस तुम हँसती रहो.........
ReplyDeleteतुमसे ही तो है ये कायनात सारी.........
बहुत सुन्दर मृदुला जी.
अनु
नज़्मों की चौखट पे
ReplyDeleteलम्हे ठहर लें
सुन्दर!
हँसी की बारिश करती आपकी कविता मन प्राण को भिगो गयी...यह गीत भी बरबस याद आया धरती हँसती रे..अम्बर हँसता रे..
ReplyDeleteतुम हँसों तो जग हँस जाए....सुन्दर..
ReplyDeleteati sundar bhav...
ReplyDeleteपूरा मन झंकृत हो जाए ...
ReplyDeleteMai to mano hansna bhool hee gayee hun! Zindagee ne ek aise mod pe lake khada kar diya hai.....
ReplyDeleteतुम हँसो.......
ReplyDeleteकि चाँद मुस्कुराये......
तुम हँसो......
कि आसमान गाये.....
बहुत सुंदर रचना,,,,,मृदुला जी,,,,बधाई
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
tum hanso to sab koi muskaye:)
ReplyDeletebehtareen..
jindagi ki sabse behatarin pal yadi koi hai to vo hai hansi
ReplyDeleteहंसी-खुशी का वातावरण बना रहे।
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना ....
ReplyDeleteतुम हँसो कि बहार ही बहार छा जाए...
ReplyDeleteहँसी से लबालब रचना !!
मन खिल उठा खिलखिलाने लगा हाँ चाँद भी मुस्कुराने लगा...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना मृदुला जी...
आज अच्छा हंसा दिया !
ReplyDeleteलहरें किनारों को
ReplyDeleteछूकर
चहक लें,
लताओं की पायल
मधुर
झंझनाये......
khubsurat aihasaas .
वाह !!! एक स्निग्ध हँसी ने धरा से लेकर चाँद तारों का भी श्रृंगार कर दिया.
ReplyDeleteवाह बहुत ही मनोहारी रचना।
ReplyDeleteवाह बहुत सुदंर मृदुला जी मन प्रसन्न हो गया ।
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