Monday, June 18, 2012

तुम हँसो......

तुम हँसो.....
कि चाँद मुस्कुराये,
तुम हँसो.....
कि आसमान गाये.
खुशबुयें फूल से उड़के
कलियों पे आये,
पत्तों पे 
शबनम की बूँदें 
नहाये,
कलियों के दामन में
जुगनू 
चमक लें,
नज़्मों की चौखट पे 
लम्हे ठहर लें,
खिड़की से आ चाँदनी 
जगमगाए.....
तुम हँसो......
कि चाँद मुस्कुराये.
हवाओं की कश्ती में 
तारे समाये,
दीवारों पे 
लतरें 
चढ़ी गुनगुनाये,
रातों की पलकों में 
सपने 
दमक लें,
लहरें किनारों को 
छूकर 
चहक लें,
लताओं की पायल 
मधुर 
झंझनाये......
तुम हँसो.......
कि चाँद मुस्कुराये......
तुम हँसो......
कि आसमान गाये......


 
 

19 comments:

  1. हाँ.....बस तुम हँसती रहो.........
    तुमसे ही तो है ये कायनात सारी.........

    बहुत सुन्दर मृदुला जी.

    अनु

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  2. नज़्मों की चौखट पे
    लम्हे ठहर लें

    सुन्दर!

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  3. हँसी की बारिश करती आपकी कविता मन प्राण को भिगो गयी...यह गीत भी बरबस याद आया धरती हँसती रे..अम्बर हँसता रे..

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  4. तुम हँसों तो जग हँस जाए....सुन्दर..

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  5. पूरा मन झंकृत हो जाए ...

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  6. Mai to mano hansna bhool hee gayee hun! Zindagee ne ek aise mod pe lake khada kar diya hai.....

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  7. तुम हँसो.......
    कि चाँद मुस्कुराये......
    तुम हँसो......
    कि आसमान गाये.....

    बहुत सुंदर रचना,,,,,मृदुला जी,,,,बधाई

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

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  8. jindagi ki sabse behatarin pal yadi koi hai to vo hai hansi

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  9. हंसी-खुशी का वातावरण बना रहे।

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  10. तुम हँसो कि बहार ही बहार छा जाए...
    हँसी से लबालब रचना !!

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  11. मन खिल उठा खिलखिलाने लगा हाँ चाँद भी मुस्कुराने लगा...
    बहुत सुन्दर रचना मृदुला जी...

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  12. आज अच्छा हंसा दिया !

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  13. लहरें किनारों को
    छूकर
    चहक लें,
    लताओं की पायल
    मधुर
    झंझनाये......
    khubsurat aihasaas .

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  14. वाह !!! एक स्निग्ध हँसी ने धरा से लेकर चाँद तारों का भी श्रृंगार कर दिया.

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  15. वाह बहुत ही मनोहारी रचना।

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  16. वाह बहुत सुदंर मृदुला जी मन प्रसन्न हो गया ।

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