आप सब जाने-अनजाने लोग जो अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देते रहते हैं, उसके लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ.यह बहुत बड़ा सहयोग है आप सबों का..... जिससे बेहद ख़ुशी मिलती है......."
"ख्वाहिशे सब्ज़े-सफ़र (जिंदगी की खुशहाली)
ना खत्म हो,
ऐ ख़ुदा
तेरी दुआओं से रहें
महफूज़ (सुरक्षित) हम,
रंगे - मौसम - रौनकों से
सामना होता रहे,
ऐ ख़ुदा
तेरी दुआओं का
मुनव्वर (प्रकाश),
साथ हो."
"ख्वाहिशे सब्ज़े-सफ़र (जिंदगी की खुशहाली)
ना खत्म हो,
ऐ ख़ुदा
तेरी दुआओं से रहें
महफूज़ (सुरक्षित) हम,
रंगे - मौसम - रौनकों से
सामना होता रहे,
ऐ ख़ुदा
तेरी दुआओं का
मुनव्वर (प्रकाश),
साथ हो."
खूबसूरत दुआ है.आमीन
ReplyDeleteशुभ कामनाएं
दिल कि गहराइयों से निकली दुआ है ....बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteमृदुला जी! बड़ी ख़ूबसूरत इल्तिजा है आपकी! अपनी आँखें बंद किये गुफ्तगू कर रहा हूँ उससे जिससे कभी कुछ नहीं माँगा..
ReplyDeleteजानकर ये ख़ुदा से कुछ न कहा
वो मेरा हाल जानता होगा!!
अमीन
ReplyDeleteआमीन!
ReplyDeletekhuda ki duaaon ka munnavar hamesha saath hoga ...
ReplyDeleteहमारी भी यही दुआ है। आपके लिए, हमारे लिए और सबके लिए :)
ReplyDeletekhushamdid...:)
ReplyDeleteaameen......
ReplyDeletearey......!
ReplyDeletepadhte hi zubaan se yahi nikla...baad mein dekha ke sabne yahi kaha hai....;)
बहुत ही खूबसूरत शब्द ...।
ReplyDeleteआमीन !
ReplyDeleteआपकी दुआ में असर हो ...
ReplyDeleteसब के जीवन में ऐसी ही रौशनी रहे ..
आमीन !
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
आमीन
ReplyDeleteहाँ .... ..जब मानव ह्रदय परमात्मा को बारम्बार आभार देना चाहता हैतो यही निकलता है .आमीन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आकांक्षा है ! और इतनी सादगी से की गयी है कि खुदा उसे पूरी किये बिना कैसे रह सकता है ! तथास्तु ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteइसी दुआ में मेरी तरफ से भी जोर लगा दें...आपके साथ खडा हूँ मैं भी....तथास्तु...
ReplyDeleteआदरणीया मृदुला प्रधान जी सादर नमस्कार .बहुत सुन्दर लिखा है आपने .बधाई
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeletemere blog pr behtarin comment dene k liye dhanywad.
ReplyDeleteAapke comment mere liye bahut important hai bcz its help to improve my skill.
आपकी यह दुआ क़बूल हो...आमीन !
ReplyDeleteदिल से निकली दुआ है ....बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteहम भी यही दुआ करते हैं.
ReplyDeleteसादर
आमीन ...सुन्दर एहसास
ReplyDeleteबहुत सुंदर -
ReplyDeleteगहरे भाव
मृदुला जी,
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पर एक बात कहना चाहूँगा......दुआ खुदा से होती है खुदा की नहीं.......उसकी तो रहमत होती है जो हम पर बरसती है......दुआ तो हम करते है उस खुदा से उसकी रहमतों की |
ऐसा ही हो
ReplyDeleteaapki dua kbool ho.
ReplyDeleteसुन्दर एहसास ...सुन्दर दुआ.
ReplyDeletekhubsurat yehsas
ReplyDeleteइस खूबसूरत दुआ की रोशनी हमेशा बनी रहे जीवन मे.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |
ऐ ख़ुदा
ReplyDeleteतेरी दुआओं का
मुनव्वर (प्रकाश),
साथ हो."
प्रेरणादायी रचना मेरे लिए
बेहद सुन्दर रचना.... भाव तो सुन्दर हैं ही... लेकिन भाषा का सहज प्रवाह... इतना सुन्दर है कि यह पंक्तियाँ बार बार पढ़ने को मन करता है...
ReplyDeleteमेघ-मालाओं ने कहा-
'बरसना है अभी और.'
हवाओं को जाना था,
खुशबू लेकर
दूर-दराज़,
नदियों-झीलों को
करनी थी,
अठखेलियाँ
और
पहाड़ों पर जमी हुई
बर्फ़ ने कहा-
'बहुत दूर है
तुम्हारा घर.'
झरनों से गिरता हुआ
कल-कल,
दूब पर फैली
हरियाली,
ताड़, खजूर युक्लिप्टस
और चिनारों ने
सुना दी,
अपनी-अपनी....