Saturday, February 26, 2011

प्रिय,जब मैं तुमसे दूर रहूँ........

प्रिय,जब मैं तुमसे दूर रहूँ........
तुम
मन-ही-मन में
मन से
मन की
कह लेना...
मैं सुन लूँगा...... 
प्रिय,भोर समय
छज्जों पर,
कोयल का रस-स्वर
गूंजे,
अपने भावों  को
भरकर,
अपने सुर में 
तुम गाना ,
मैं गुन लूँगा......
प्रिय,शाम ढले
आंगन में,
रजनीगंधा की कलियाँ
निज हाथों से
बिखरा देना,
मैं चुन लूँगा....
प्रिय, तम में
पलकों पर तुम,
सुंदर सपनों को 
लाना ,
लेकर अपनी आँखों में 
मैं बुन लूँगा......
प्रिय, जब मैं तुमसे दूर रहूँ.......
तुम मन-ही-मन में 
मन से 
मन की 
कह लेना..... 
मैं सुन लूँगा........ 



36 comments:

  1. सुन्दर सोच कविता में !

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदरता से प्रेम में एक प्रेम की व्याख्या........

    ReplyDelete
  3. वाह …………प्रेम और जुदाई की एक उत्कृष्ट रचना बहुत ही मनभावन लगी…………लयबद्ध गुनगुनाती हुयी।

    ReplyDelete
  4. प्रिय, जब मैं तुमसे दूर रहूँ.......
    तुम मन-ही-मन में
    मन से
    मन की
    कह लेना.....
    मैं सुन लूँगा........
    per yah itna aasaan kahan

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर, भावपूर्ण प्रेम कविता !

    ReplyDelete
  6. बहुत खुबसुरत रचना धन्यवाद

    ReplyDelete
  7. तुम मन-ही-मन में
    मन से
    मन की
    कह लेना.....
    मैं सुन लूँगा........

    वाह!! वाह!सुन्दर!

    ReplyDelete
  8. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete
  9. तुम मन-ही-मन में
    मन से
    मन की
    कह लेना.....
    मैं सुन लूँगा........

    .....

    Often we communicate telepathically

    .

    ReplyDelete
  10. प्यार की प्रभावशाली अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  11. Kitni nafees,pyaree rachana hai ye!Lay hai isme! Kayi baar padhee!

    ReplyDelete
  12. प्रेम की पराकाष्ठा... जब एक को मक़तब में उस्ताद छड़ी से पीटते तो दूसरे की हथेली पर नीले निशान पड़ते थे!!

    ReplyDelete
  13. मेरी तरफ से आपको समर्पित कुछ पंक्तियाँ---

    "आसन बहुत
    मन से मन की कह लेना.....
    मन कह दे तो ,
    मैं सुन लूंगी !!
    खामोश ही रहना
    अपनी जुबां से
    न कहना कुछ
    बस चुप रहना...
    मन सुन लेगा,
    मैं सुन लूंगी !!"


    बहुत सुन्दर कविता...
    सुन्दर भाव...
    कोमल मन की सच्ची अभिव्यक्ति...
    मन के यही भाव हैं जो किसी
    निश्छल मन के द्वारा ही समझे जा सकते हैं..
    बस भावनाएं सच्ची होनी चाहिए...!!

    ReplyDelete
  14. sunder geet laga mujhe mridula ji , gungunane ko man karta hai

    ReplyDelete
  15. प्रिय और प्रीतम को एक-सार करने वाली कविता....बहुत ही सुन्दर...प्रेम से सराबोर...

    ReplyDelete
  16. प्रिय, जब मैं तुमसे दूर रहूँ.......
    तुम मन-ही-मन में
    मन से
    मन की
    कह लेना.....
    मैं सुन लूँगा........
    सच्चे प्रेम मे दिल ही दिल की बात सुनता है। सुन्दर रचना बधाई।

    ReplyDelete
  17. बहुत सुंदर, भावपूर्ण प्रेम कविता ! .....हार्दिक बधाई ।

    ReplyDelete
  18. आधुनिक युग में इस प्रीतभरी याद में प्रौद्योगिकी की सुविधाएं कैसे छूट गई।

    ReplyDelete
  19. सुन्दर भावों से सजाया है, आभार.

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर अहसास...सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  21. शाम ढले
    आंगन में,
    रजनीगंधा की कलियाँ
    निज हाथों से
    बिखरा देना,
    मैं चुन लूँगा....


    एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर रचना.
    सलाम

    ReplyDelete
  23. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति


    क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश


    यूपी खबर

    न्यूज़ व्यूज तथा भारतीय लेखकों का मंच

    ReplyDelete
  24. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

    ReplyDelete
  25. सोंचने वाली कविता .धन्यवाद.

    ReplyDelete
  26. ''मन से
    मन की
    कह लेना.....
    मैं सुन लूँगा''. सुन्दर कविता

    ReplyDelete
  27. आदरणीया मृदुला जी ,

    प्रेम रस में सराबोर रचना बहुत प्यारी लगी |

    कोमल भावों की भावुक अभिव्यक्ति मन को छू लेती है |

    ReplyDelete
  28. जहां अपनापन हो ...
    वहाँ प्रिय खुद सुन लेता है सारी बातें ......
    हाँ कुछ नसीब भी होते हैं .....

    बहुत प्यारी रचना ......

    ReplyDelete
  29. प्रिय, जब मैं तुमसे दूर रहूँ.......
    तुम मन-ही-मन में
    मन से
    मन की
    कह लेना.....
    मैं सुन लूँगा........
    bahut hi sundar .

    ReplyDelete
  30. प्रेम रस में सराबोर रचना बहुत प्यारी लगी| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  31. कविता अच्छी लगी। साधुवाद।

    ReplyDelete
  32. bahut sunder rachna....jate jate aapki dusari rachna bhi padhkar ja rahi hon ....
    bahut badhiya lagi.....

    ReplyDelete
  33. रमणीय काव्य...

    रमणीय शब्द

    ReplyDelete