एकांत के प्रतिबिम्ब में
डूबता-उतराता हुआ
मेरा मन ,
अन्तरंग वीथियों में
परिमार्जित होते हुए
मेरे
सुख-दुःख,
नीले-नीले सपनों को
सजाते-संवारते
हुए
मेरी पलकों के
पंख
और शब्दों के कोलाहल से
भरी हुई
मेरी चुप्पी ने
एक दिन,
अपना सारा कुछ
बाँट दिया
उँगलियों को.......
उँगलियों ने धीरे-धीरे
सब कुछ
निकालकर,
डायरी के पन्नों में
रख दिया.......
अब
बाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास.
डूबता-उतराता हुआ
मेरा मन ,
अन्तरंग वीथियों में
परिमार्जित होते हुए
मेरे
सुख-दुःख,
नीले-नीले सपनों को
सजाते-संवारते
हुए
मेरी पलकों के
पंख
और शब्दों के कोलाहल से
भरी हुई
मेरी चुप्पी ने
एक दिन,
अपना सारा कुछ
बाँट दिया
उँगलियों को.......
उँगलियों ने धीरे-धीरे
सब कुछ
निकालकर,
डायरी के पन्नों में
रख दिया.......
अब
बाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास.
मेरी चुप्पी ने
ReplyDeleteएक दिन,
अपना सारा कुछ
बाँट दिया
उँगलियों को.......
वाह ...बहुत ही सुन्दर शब्दों को उतार कर लाई है यह चुप्पी ।
बहुत सूक्ष्म और कोमल भावनाओं को शब्दों में पिरोया है आपने !
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ओह! भावनाओ का बेहद सुन्दर चित्रण किया है…………बेहद उम्दा रचना।
ReplyDeleteउँगलियों ने धीरे-धीरे
ReplyDeleteसब कुछ
निकालकर,
डायरी के पन्नों में
रख दिया.......
अब
बाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास...
How true !
सब कुछ लिख देने के बाद शेष कुछ नहीं रहता पास ..
.
बाँटने जैसा
ReplyDeleteकुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास.
बहुत सुंदर चित्रण भावनाओं का -
अब
ReplyDeleteबाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास...
बहुत खूबसूरत... ह्रदय में छुपे भावों का सुन्दर चित्रण...आपका मेरे ब्लॉग पर आगमन बहुत अच्छा लगाऔर आपका तो कमेन्ट मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट ले आया.. ऐसा लगा जैसे आप मेरे सामने ही हैं...
rachna dharm aur jeevan ka abhed yahi hai .
ReplyDeletejab jndgi panno par utar aayi fir aur kya kahna.
ati sundar!
Ab ungaliyon ko comp ke key board pe laga deejiye aur ham se baant leejiye!
ReplyDeletebahut sunder bhav....
ReplyDeletebade dino baad aai hai mere blog par
aabhar........
har kavita hi achhi hoti h...ab to bas padhne ka mann karta hai, comment karne ka nhi.....
ReplyDeleteजो डायरी के पन्नों में समा दिया जाता है, वही तो सबसे महत्वपूर्ण यादें पल और संस्मरण होते हैं।
ReplyDeleteरचना में भावाभिव्यक्ति बहुत अच्छी है।
अब
ReplyDeleteबाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास.
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...बधाई
कोमल भावनाओ से सजी आप की यह बहुत उमदा रचना धन्यवाद
ReplyDeleteमेरी चुप्पी ने
ReplyDeleteएक दिन,
अपना सारा कुछ
बाँट दिया
उँगलियों को.......
उँगलियों ने धीरे-धीरे
सब कुछ
निकालकर,
डायरी के पन्नों में
रख दिया.......
अब... wahi kavita kahlati hai
awwwww.....itni pyaarinazm to de di...aur kya chahiye....bohot khoobsurat
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति .बधाई .
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (05.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
मौन स्वप्नों का लेखन में रूपानतरण उनकी अभिव्यक्ति की उत्तम विधि है, जो सुखद अनुभूति प्रदान करती है।
ReplyDeleteवाह कितनी कोमल और उतनी ही खूबसूरत कविता । आभार मृदुला जी ।
ReplyDeleteबहुत ही खुबसुरती से आपने अपने कोमल भावनाओं को परिभाषित किया है।
ReplyDeleteभावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई
ReplyDeleteमृदुला जी बेहद कोमल भावाभिव्यक्ति.......अन्दर की हलचल को उँडेलने के बाद मन क हल्कापन और कविता की सुन्दरता दोनों ही अवर्णनीय होते हैं। रचनाकार पर अकर मेरी कविता पर प्रतिक्रिया देनें के लिये धन्यवाद।
ReplyDeleteडायरी के पन्नों में
ReplyDeleteरख दिया.......
अब
बाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास...
koi nahi, kuchh panne fir se bharne parenge...:)
hai na...!!
dil ko chhuti rachna..!
रचना काबिले तारीफ है बहुत - बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteअब
ReplyDeleteबाँटने जैसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास ,
तुम्हें दे सकूँ
ऐसा
कुछ भी नहीं है
मेरे पास.
कोमल भावनाओं का सुंदर चित्रण . ...बधाई
नहीं मृदुलाजी...
ReplyDeleteमैं आपसे सहमत नहीं !!
मन की चुप्पी में अभी भी
काफी कुछ बचा के रखा है आपने !!
हर बार ऐसा ही लगता होगा लेकिन
फिर भी बहुत कुछ शेष है
आपके पास बांटने के लिए !!
कविता बहुत ही खूबसूरत है.
एकदम मन को छूती हुई
दिल के पार चली गई !!
Infact,कई बार मुझे भी लगा कि
अब लिखने को कुछ भी शेष नहीं रहा,
लेकिन फिर.....
शायद मैंने इस बारे में कभी कुछ लिखा है...
आपने याद दिला दिया तो उन पुराने पन्नों को खोजूंगी!!
धन्यवाद ........
अपने एहसासों को बखूबी कलमबद्ध कर दिया अपने. आपसे सरल शब्दों में असरदार बात कहना सीखने में लगा हुआ हूँ..
ReplyDeletemridula ji
ReplyDeletebahut hi gahri abhivyakti jo man ko gahre chhu gai badi hi khoob surati ke sath aapne apni kavita ko sundar shabdo ke sath utara hai.bahut kuchh bhav bhini ahsason ke sath bahut sundar prastuti.
dhanyvaad
poonam
beautifully expressed.
ReplyDeleteis diary me sab kuchh hai...bas aap ungliyon se jadu karte jaiye...ham dekhte jayenge.:) sunder abhivyakti.
ReplyDeleteउँगलियों ने धीरे-धीरे
ReplyDeleteसब कुछ
निकालकर,
डायरी के पन्नों में
बहुत सुन्दर चित्रण भावनाओं का ...
हां, अक्सर ऐसा होता है. सुन्दर रचना.
ReplyDeletebahut achcha likke ho...
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