मेरे एख्तियारों को ज़हन(दिमाग)
मेरे तिश्नगी(प्यास) को
मुकाम दे,
मैं गुम्बदे-बे-दर(खुला आसमान)
फ़रेफ्ता(मुग्ध)
वज्दे-ज़ौक(आनंद की मस्ती)
इकराम(कृपा)दे.
वो बलायें जिनका
यकीन था,
एतराफ़(स्वीकृती)
नामंज़ूर कर
कि अहद-ए-ग़ुल(फूलों का ज़माना)
मंज़रों(दृश्य) का
सिलसिला
कायम रहे.
खुबसूरत अर्चना हो गई!!
ReplyDeleteशानदार हैं हर पंक्ति!!
लगता हे अब हमे भी उर्दू सीखनी ही पडेगी... बहुत सुंदर रचना, लेकिन पढने मे बहुत समय लगा, धन्यवाद
ReplyDeleteमेरे एख्तियारों को ज़हन(दिमाग)
ReplyDeleteमेरे तिश्नगी(प्यास) को
मुकाम दे,
बहुत सुंदर ...... ऐसा ही हो
कि अहद-ए-ग़ुल(फूलों का ज़माना)
ReplyDeleteमंज़रों(दृश्य) का
सिलसिला
कायम रहे.
Aameen!
माशा-अल्लाह...
ReplyDeleteनज़्म भी खूबसूरत...
ज़ज्बात भी खूबसूरत...
bahut khoob . . . subhaan allah . . .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteतिश्नगी को मुकाम मिलने ने खवाहिश , बहुत सुन्दर मुबारकवाद कबुल करें
ReplyDeleteahad e gul manzar kayam rahein , suner nazm hai mridula ji
ReplyDeletebahut badhiyaa likha hai
ReplyDeleteखूबसूरत ...अर्थ न दिए होते तो कुछ भी समझ नहीं आता :)
ReplyDeleteआदरणीया मृदुला प्रधान जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
वो बलायें जिनका
यकीन था,
एतराफ़ नामंज़ूर कर
कि अहद-ए-ग़ुल मंज़रों का
सिलसिला कायम रहे …
बहुत ख़ूबसूरत नज़्म है …
पढ़ कर दिली मसर्रत हुई । भरपूर मुबारकबाद !
आपका बेहतरीन अंदाज़ में उर्दू लफ़्ज़ों के साथ नज़्म कहना मुझे हैरत में भी डाल रहा है …
# आपकी किताबें कैसे उपलब्ध हो सकेंगी मुझे ?
होली की अग्रिम शुभकामनाओं सहित
चंद रोज़ पहले आ'कर गए
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर .....बेहतरीन अंदाज़...
ReplyDeleteसिलसिला
कायम रहे.......
sach kahun.....
ReplyDeletewaise to aapne har shabd ka arth bata diya..
lekin arth jaan kar fir padhna...andar tak nahi ja paya...
beshak ek achchhi kriti hai!
क्या कहने हैं इस मज़म के ... कुछ अलग अंदाज़ में लिखा है आज आपने ..
ReplyDeletebemisaal!!
ReplyDeleteहर एक पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteकविता अपना प्रभाव छोड़ रही है
ReplyDeleteउर्दू की चाशनी में डुबा कर दिल की हसरतों को आपने बयां किया शुक्रिया, शुक्रिया !
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।।
ReplyDeleteकि अहद-ए-गुल
ReplyDeleteमंजरों का
सिलसिला
कायम रहे '
.........ऐसा ही हो |
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....कुछ नया पढने को मिला बहुत अच्छा लगा. शुक्रिया !
ReplyDeleteकि अहद-ए-गुल
ReplyDeleteमंजरों का
सिलसिला
कायम रहे '
बहुत ही सुन्दर रचना, आभार
होली के पावन पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं
आदरणीया मृदुलाजी होली की शुभकामनाएं |अच्छी नज्म बधाई |
ReplyDeleteMrudula jee kitani khalis urdu likhtee hain aap . par prarthana sunder hai. aapke arth ne bahut madad kee.
ReplyDeleteउम्दा
ReplyDeleteआदरणीया मृदुला प्रधान जी
ReplyDeleteनमस्कार !
...........बहुत बढ़िया प्रस्तुति
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
बहुत खूबसूरत रचना। बधाई।
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDelete.
ReplyDeleteकि अहद-ए-ग़ुल
मंज़रों का
सिलसिला
कायम रहे....
आमीन !
.
@ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
ReplyDeleteमुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteआप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
Subhaan Allaah !
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