.......... और एक दिन
झिंगुर ने,
झिंगुरानी से यह कहा-
प्रिय.....
प्यार,कर्म,विश्वास
मिलाकर,
जो दिवार हम
खड़ी किये,
चलो-चलो
फिर से
रंगते हैं,
आखिर हम-तुम
क्यों
लड़ते हैं?
क्यों न आज हम
उन लम्हों की
कसमें खाएं,
सूर्य,चन्द्र और
अग्नि-वरुण-जल
साथ चले थे.....
क्यों न आज हम
उन लम्हों का
जश्न मनाएं,
जहाँ हमारे
स्वप्न
पले थे.........
क्यों न शून्य में
अपने
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
कोई नाद कहे ,
कोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
superb ... ye shabd kahna jyada asardaar laga
ReplyDeleteजहाँ हमारे
ReplyDeleteस्वप्न
पले थे.........
क्यों न शून्य में
अपने
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
बेहतरीन ........।
क्यों न शून्य में
ReplyDeleteअपने
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
कोई नाद कहे ,
कोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
Bahut khoob!Lekin jhingur kyon?
झींगुर -झिंगुरानी संवाद के माध्यम से बहुत प्रेरक , भावपूर्ण सुन्दर रचना
ReplyDeleteअपने
ReplyDeleteदिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
कोई नाद कहे ,
कोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
क्या खूब सम्वाद निभाया है। एकता का नाद गुंजाया है।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
jhingur aur jhingurani kee pyara samvaaad sach me dil khush kar gaya..:)
ReplyDeleteवाह वा ...वाह वा ...वाह वा ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
behad sundar rachna!!!!!!
ReplyDeletewah kya baat hai....
ReplyDeleteझींगुर -झिंगुरानी संवाद के माध्यम से बहुत प्रेरक , भावपूर्ण सुन्दर रचना. vaah vaah.
ReplyDeletesundar rachna...
ReplyDeleteकोई नाद कहे ,
ReplyDeleteकोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
बहुत सुन्दर....
Simply great imaginative poem.
ReplyDeleteयह कविता एक संवेदनशील मन की निश्छल अभिव्यक्तियों से भरी-पूरी है।
ReplyDeleteप्रेरक और मनभावन संवाद..... सुंदर बिम्ब....
ReplyDeleteएकता की चिकी मिकी सुनकर मन प्रसन्न हो गया!
ReplyDeleteसंदेशपूर्ण रचना.
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत विवेकी झींगुर है....बहुत सही सन्देश दिया उसने....तभी आज कल झींगुर बहुत बोल रहे हैं....
ReplyDelete"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
ReplyDelete"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
ReplyDeleteउन लम्हों की
ReplyDeleteकसमें खाएं,
सूर्य,चन्द्र और
अग्नि-वरुण-जल
साथ चले थे.....
क्यों न आज हम
उन लम्हों का
जश्न मनाएं,
.........भावपूर्ण सुन्दर
कोई नाद कहे ,
ReplyDeleteकोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
एक सुर हो जाएँ ......!!
sunder rachna -
jhingurani :) , pehli baar ye shabd suna hai , bhav bahut achhe hain mridula ji
ReplyDeleteआखिर हम-तुम
ReplyDeleteक्यों
लड़ते हैं?
bahut achchi rachna !!
क्यों न शून्य में
ReplyDeleteअपने
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
very appealing !
.
कोई नाद कहे ,
ReplyDeleteकोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
आमीन...बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें...
नीरज
सचमुच जब झिंगुर एक साथ मिल कर गाते हैं तो एक संगीत सभा का आनंद आता है, असम में बरसात में शाम होते ही मियां मल्हार शुरू हो जाता है !
ReplyDeleteक्यों न शून्य में
ReplyDeleteअपने
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
कोई नाद कहे ,
कोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ
मिलाएं.
वाह! आपने नया आयाम दिया है नाद और उसके प्रयोग को! वाह!!
झींगुर -झिंगुरानी संवाद के माध्यम से बहुत भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteक्यों न शून्य में
ReplyDeleteअपने
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
कमाल की लेखनी है आपकी, लेखनी को नमन, और आपको बधाई