Tuesday, February 22, 2011

.......... और एक दिन

.......... और एक दिन
झिंगुर ने,
झिंगुरानी से यह कहा-
प्रिय.....
प्यार,कर्म,विश्वास
मिलाकर,
जो दिवार हम
खड़ी किये,
चलो-चलो
फिर से
रंगते हैं,
आखिर हम-तुम
क्यों
लड़ते हैं?
क्यों न आज हम 
उन लम्हों की
कसमें खाएं,
सूर्य,चन्द्र और
अग्नि-वरुण-जल
साथ चले थे.....
क्यों न आज हम
उन लम्हों का
जश्न मनाएं,
जहाँ हमारे
स्वप्न
पले थे.........
क्यों न शून्य में 
अपने 
दिल की,
धड़कन खूब गुंजाएं,
कोई नाद कहे ,
कोई ध्रुपद कहे,
कोई ओम कहे,
हम सबको साथ 
मिलाएं. 






33 comments:

  1. जहाँ हमारे
    स्वप्न
    पले थे.........
    क्यों न शून्य में
    अपने
    दिल की,
    धड़कन खूब गुंजाएं,

    बेहतरीन ........।

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  2. क्यों न शून्य में
    अपने
    दिल की,
    धड़कन खूब गुंजाएं,
    कोई नाद कहे ,
    कोई ध्रुपद कहे,
    कोई ओम कहे,
    हम सबको साथ
    मिलाएं.

    Bahut khoob!Lekin jhingur kyon?

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  3. झींगुर -झिंगुरानी संवाद के माध्यम से बहुत प्रेरक , भावपूर्ण सुन्दर रचना

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  4. अपने
    दिल की,
    धड़कन खूब गुंजाएं,
    कोई नाद कहे ,
    कोई ध्रुपद कहे,
    कोई ओम कहे,
    हम सबको साथ
    मिलाएं.

    क्या खूब सम्वाद निभाया है। एकता का नाद गुंजाया है।

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  6. jhingur aur jhingurani kee pyara samvaaad sach me dil khush kar gaya..:)

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  7. वाह वा ...वाह वा ...वाह वा ....
    शुभकामनायें !

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  8. झींगुर -झिंगुरानी संवाद के माध्यम से बहुत प्रेरक , भावपूर्ण सुन्दर रचना. vaah vaah.

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  9. कोई नाद कहे ,
    कोई ध्रुपद कहे,
    कोई ओम कहे,
    हम सबको साथ
    मिलाएं.

    बहुत सुन्दर....

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  10. यह कविता एक संवेदनशील मन की निश्‍छल अभिव्‍यक्तियों से भरी-पूरी है।

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  11. प्रेरक और मनभावन संवाद..... सुंदर बिम्ब....

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  12. एकता की चिकी मिकी सुनकर मन प्रसन्न हो गया!

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  13. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  14. वाह! बहुत सुन्दर!

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  15. बहुत विवेकी झींगुर है....बहुत सही सन्देश दिया उसने....तभी आज कल झींगुर बहुत बोल रहे हैं....

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  16. उन लम्हों की
    कसमें खाएं,
    सूर्य,चन्द्र और
    अग्नि-वरुण-जल
    साथ चले थे.....
    क्यों न आज हम
    उन लम्हों का
    जश्न मनाएं,
    .........भावपूर्ण सुन्दर

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  17. कोई नाद कहे ,
    कोई ध्रुपद कहे,
    कोई ओम कहे,
    हम सबको साथ
    मिलाएं.


    एक सुर हो जाएँ ......!!
    sunder rachna -

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  18. jhingurani :) , pehli baar ye shabd suna hai , bhav bahut achhe hain mridula ji

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  19. आखिर हम-तुम
    क्यों
    लड़ते हैं?
    bahut achchi rachna !!

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  20. क्यों न शून्य में
    अपने
    दिल की,
    धड़कन खूब गुंजाएं,

    very appealing !

    .

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  21. कोई नाद कहे ,
    कोई ध्रुपद कहे,
    कोई ओम कहे,
    हम सबको साथ
    मिलाएं.


    आमीन...बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  22. सचमुच जब झिंगुर एक साथ मिल कर गाते हैं तो एक संगीत सभा का आनंद आता है, असम में बरसात में शाम होते ही मियां मल्हार शुरू हो जाता है !

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  23. क्यों न शून्य में
    अपने
    दिल की,
    धड़कन खूब गुंजाएं,
    कोई नाद कहे ,
    कोई ध्रुपद कहे,
    कोई ओम कहे,
    हम सबको साथ
    मिलाएं.
    वाह! आपने नया आयाम दिया है नाद और उसके प्रयोग को! वाह!!

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  24. झींगुर -झिंगुरानी संवाद के माध्यम से बहुत भावपूर्ण रचना

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  25. क्यों न शून्य में
    अपने
    दिल की,
    धड़कन खूब गुंजाएं,
    कमाल की लेखनी है आपकी, लेखनी को नमन, और आपको बधाई

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