Monday, January 25, 2010

एक शिष्टाचार था..........

आत्मीयता से भरी बातों को
"कुरियर" के सहारे,
मुझ तक पहुँचा दिया,
चलो अच्छा किया
एक शिष्टाचार था
वाकायदा निभा दिया .
विश्वास और अविश्वास के
पलड़े में
झूलता हुआ
अंतर्द्वंद,
मौसम के ढलान पर
अप्रत्याशित परिस्थितियों का
सामना करते हुए,
अपेक्छाओं के मापदंड से
फिसलता गया,
विधिवत प्रक्रियायों को
कार्यान्वित करना,
भूलता गया
और काट-छाँटकर
निकाले हुए समय ने ,
इस लाचार मनःस्थिति को
अपराध मानकर,
अपनी बहुमूल्यता का एलान
इस अंदाज़ में
किया
कि मुज़रिम बनाकर, हमें
कठघरे में
खड़ा कर दिया,
चलो अच्छा किया
एक शिष्टाचार था
अपने ढंग से निभा दिया.