Monday, June 13, 2022

शाख-ए-गुल से..

 शाख-ए-गुल से 

ये मैंने 

कहा एक दिन..

अपनी खुशबू तो दे दो 

मुझे भी जरा 

कि..लुटाऊँगी मैं भी 

यहाँ से वहाँ ..

कुछ झिझकते हुये

उसने हामी भरी 

फिर कहा-

मित्र , लेकिन..

सिखा दो मुझे पहले 

अपनी तरह 

तुम ये चलना 

मुझे भी 

यहाँ से वहाँ ..

Monday, June 6, 2022

दिल से दिल तक..

दिल से दिल तक के 

रस्ते पर 

भारी,ट्रैफिक जाम लगा है.…… 

हर्ष-विषादों की 

जमघट है,

सही-गलत की 

तख्ती है,

चुप्पी की आवाज़ 

घनी है 

अहंकार की 

सख्ती है.…… 

नाराज़ी की भीड़-भाड़ में 

तरल गरल की 

हलचल है,

चढ़ा मुलम्मा छल पर 

निकला,

जिसमें जितना 

बल है……. 

झूठ-शिकायत की 

पेटी है,

इल्ज़ामों के दश्ते हैं,

राजनीति की सधी 

चाल से 

टूटे-बिखरे 

रिश्ते हैं.…….

सन्डे की सुबह ..

 'सन्डे' की सुबह, 'पॉश-कॉलोनी' की

'बालकनी' में…… जो एक 

लम्बा सन्नाटा 

बिछ जाता है…… 

शनिवार की रात का 

'साइड-इफेक्ट'

साफ नज़र आता है. 

ग्यारह-बारह बजे 

हाफ-पैंट धारी 'डैडी' 'पेपर' लिए 

केन की कुर्सी पर 

फैल जाते हैं…… 

बड़े-बड़े फूलों वाली 

खूबसूरत 'नाइटी' पहने 

घर की गृहणी,

बाहर आती है.......  

चाय-दूध,बिस्किट,

फल-वल,जाने क्या-क्या

'ट्राली' पर,आया 

लाती है....... गृहणी 

मुस्कुराती है……

डालती है कपों में 

'स्टाइल' से,चाय-दूध,

नफ़ासत की हद तक,

शक्कर मिलाती है....... और 

मेरी जिज्ञासा 

बढ़ती चली जाती है……कि 

आखिर 

ये लाम-काफ की चाय 

कैसी होती है?

इस 'साइड-इफेक्ट' का 

'आफ्टर-इफेक्ट' तो देखिये,

मेरी अपनी गरम चाय,

बिना पीये,बेवज़ह 

ठंढ़ी हो जाती है.......