Sunday, April 24, 2011

दिनकर जी की पुण्य-तिथि पर...........दिनकर जी के बारे में........

दिनकर जी के
बारे में,
जितना लिख दूं
वह कम है,
'रश्मिरथी','कुरुछेत्र'
पढ़ी थी,
अब तक आँखें
नम हैं.
जन-जीवन,ग्रामीण ,
सहज,
कितना गहरा 
स्वाध्याय,
दिए अमूल्य ,अतुल 
वैभव 
'संस्कृति के चार अध्याय '.
'हरे को हरिनाम ',
'उर्वशी ' 
पढ़कर नहीं अघाते,
श्रोता हों या
वक्ता हों,
हर पंक्ति को
दोहराते.
संसद में रहकर भी
सत्ता,
जिनको नहीं लुभाया,
दिनकर जी को मिला,
पढ़ा जो,
अब तक नहीं
भुलाया.
कृतियों का
प्रज्ज्वल प्रकाश,
उत्कर्ष,
कलम का थामे ,
भारत की 
गौरव-गाथा में,
राष्ट्र-कवि हैं आगे.
ऋणी रहेगा
'ज्ञानपीठ',
हिंदी का नभ
सम्मानित,
नमन उन्हें शत बार
ह्रदय यह,
बार-बार गौरवान्वित . 




Tuesday, April 19, 2011

वृद्ध होती जा रही.......

वृद्ध होती जा रही.......
असमर्थ ममता,
मांगतीं हैं
उँगलियाँ, मेरी
पकड़ने के लिए
और मुझको वहम है
कि
उँगलियाँ मेरी
बड़ी अब,
हो गयीं हैं.

Sunday, April 3, 2011

एक लम्हा........

............और एक दूसरा पहलू यह भी , पचासवीं जयंती का ..........

माना कि वो 
नहीं हैं .......
लेकिन 
एक लम्हा ,
सूर्य ,चन्द्र ,अग्नि ,वरुण 
और 
पृथ्वी कि गवाही 
लेकर ,
आपके साथ 
चल रहा है ,
पचास साल से ........
कैद है 
आपकी आँखों में ,
मन में 
उम्र -कैद है,
कितना घुलनशील है,
आपके साथ
रह रहा है,
पचास साल से.......
प्रतिध्वनि जिसकी
संगीत बनकर,
गूंजती है
कानों में,
संजीवनी का जादू
चलाता है,
प्राणों में,
प्रीत की स्मृति 
जिसकी,
किरण बन 
आशा जगाती,
उस लम्हे का 
ज़िक्र हुआ है.......
उस लम्हे का 
ज़िक्र हुआ है.......तो
पुराने ज़ज्बातों से 
थोड़ी सी खुशबू 
निकालकर,
घर के कोने-कोने में 
बिखरा दीजियेगा 
और आज के दिन की 
मधुरता को 
जिंदा 
रखने के लिए,
स्वर्णिम -जयंती 
ज़रूर 
मना लीजियेगा .
माना की वो 
नहीं हैं.......ग़म है 
लेकिन 
आप तो हैं.......
ये
क्या कम है ?