Saturday, July 23, 2011

उस अमर-बेल की लता कहाँ........

उस अमर-बेल की
लता कहाँ........
जिनकी कोमल
कलियों को चुन,
पावन-परिणय की
वेला
में,
मैं हार तुम्हें,
पहनाता था.
वह श्वेत, धवल
हिमखंड कहाँ,
जिसकी जगमग
आभा में, मैं
अपलक, अनिमेष,
निःशंकित सा
सौ बार,
तुम्हें नहलाता था.
वह मेघ-माल
है गया कहाँ,
जिसकी श्यामल
तरुणिम छवि में,
विहगों का सुन
कल्लोल........ कभी,
प्रतिपल मैं,
तुम्हें हँसाता था,
है गया कहाँ
मलयज बयार,
जिसकी
मीठी सकुचाहट पर,
द्रुत हरिण गति
पाँवों में भर,
मैं
पास तुम्हारे आता था.

35 comments:

  1. शानदार काव्य रचना पढ़कर दिल खुश हुआ बधाई

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  2. bahut bahut acchhi kavita padhne ko mili, aabhari hun. kshama chahungi is dus-sahas ke liye ki agar apki kavita is tarah se paish ki jati to kaisi lagti ?????

    अमर-बेल की लता कहाँ........
    जिनकी कोमल कलियों को चुन,
    पावन-परिणय की में,
    मैं हार तुम्हें, पहनाता था.

    श्वेत, धवल हिमखंड कहाँ,
    जिसकी जगमग आभा में, मैं
    अपलक, अनिमेष, निःशंकित सा
    सौ बार, तुम्हें नहलाता था.

    वह मेघ-माल है गया कहाँ,
    जिसकी श्यामल तरुणिम छवि में,
    विहगों का सुन कल्लोल... कभी,
    प्रतिपल मैं, तुम्हें हँसाता था,

    है गया कहाँ मलयज बयार,
    जिसकी मीठी सकुचाहट पर,
    द्रुत हरिण गति पाँवों में भर,
    मैं पास तुम्हारे आता था.

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  3. है गया कहाँ
    मलयज बयार,
    जिसकी
    मीठी सकुचाहट पर,
    द्रुत हरिण गति
    पाँवों में भर,
    मैं
    पास तुम्हारे आता था.
    Bahut,bahut pyaree rachana hai!

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  4. पावन-परिणय की
    में,

    बहुत ही सुंदर और कोमल एहसास से भरी रचना ..
    शायद बेला शब्द छूट गया है ...!!

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  5. लाज़वाब काव्यकृति..बहुत सुन्दर

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  6. दिलकश भावपूर्ण प्रस्तुति.
    कोमल अहसास दिल को छूते हैं.
    अनुपम अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  7. कोमल अहसासों को पिरोती हुई एक खूबसूरत रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  8. बहुत प्यारी रचना।

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  9. बेहतरीन कविता है।

    सादर
    ------------

    कल 25/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  10. अद्भुत बिम्बों का समायोजन से कविता में निखार आ गया है।

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  11. बहुत सुन्दर, बहुत सशक्त रचना

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. south me rahte aisee hindi sunne ke to laale hee rahte hai padne ka soubhagy pa dil gadgad hai.
    wah kya baat hai...

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  14. यह कविता भी आपका ट्रेड मार्क है.. छोटे छोटे छंदों में कोमल कोमल भाव..

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  15. छोटे - छोटे शब्दों का बेहतर समन्वय , सुन्दर रचना

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  16. बहुत ही सुंदर कोमल रचना है आपकी,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  17. आपकी कविता पढ़कर कालिदास का मेघदूत याद आ रहा है... बहुत सुंदर सम्मिलन है भावों व शब्दों का !

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  18. मुझे लगता है किसी एक पंक्ति को उठाया नही जा सकता। सम्पूर्ण कविता खूबसूरत है।

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  19. बहुत सुन्दर लिखतीं हैं आप ... बधाई आपको

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  20. वाह बेहतरीन !!!!

    भावों को सटीक प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पाने की आपकी दक्षता मंत्रमुग्ध कर लेती है...

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  21. बहुत खूबसूरत और कोमल भाव संजोये हैं इस रचना में ..सुन्दर प्रस्तुति

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  22. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!

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  23. जिसकी
    मीठी सकुचाहट पर,
    द्रुत हरिण गति
    पाँवों में भर,
    मैं
    पास तुम्हारे आता था.

    ..बीतें सुनहरे प्यार भरे पलों की कचोटती याद को सुन्दर प्राकृतिक परिवेश में जीवंत करने से रचना बेहद भावपूर्ण बन पड़ी है...
    बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ..

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  24. है गया कहाँ
    मलयज बयार,
    जिसकी
    मीठी सकुचाहट पर,
    द्रुत हरिण गति
    पाँवों में भर,
    मैं
    पास तुम्हारे आता था.
    wah...har shabd vajni...
    bahut khub!

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  25. सुन्दर कोमल अध्बुध प्रवाह लिए ... लाजवाब रचना है ...

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  26. प्रतिपल मैं,
    तुम्हें हँसाता था,
    है गया कहाँ
    मलयज बयार,
    जिसकी
    मीठी सकुचाहट पर,
    द्रुत हरिण गति
    पाँवों में भर,
    मैं
    पास तुम्हारे आता था....

    Outstanding creation !

    .

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  27. सुन्दर भावमय रचना। बधाई आपको।

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  28. वह श्वेत धवल
    हिमखंड कहाँ
    जिसकी जगमग
    आभा में मैं
    अपलक अनिमेष
    निःशंकित सा
    सौ बार
    तुम्हें नहलाता था

    बहुत प्यारा गीत है।
    यह तो स्वरबद्ध कर गाने लायक है।

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  29. बेहद भावपूर्ण...नीड टु बी रीइन्वेंटेड...

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